Odisha Ratna Bhandar:46 साल के लंबे अंतराल के बाद पुरी के जगन्नाथ मंदिर का खजाना रविवार को खोला गया. भक्तों में हमेशा उत्सुकता रही है कि भगवान जगन्नाथ के रत्न भंडार में ऐसा क्या, जिसे अभी तक छिपाकर रखा गया है , जो अभी तक उनके सामने नहीं आ पाया था.
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मंदिर के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम- 46 साल बाद 14 जुलाई को पुरी के जगन्नाथ मंदिर का खजाना रविवार दोपहर 1:28 बजे खोल दिया गया. इस दौरान भंडार गृह में सरकार के प्रतिनिधि, ASI के अधिकारी, मंदिर समिति के गजपति महाराज के प्रतिनिधि समेत 11 लोग मौजूद रहे।प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार रत्न भंडार में मौजूद कीमती सामान की डिजिटल लिस्टिंग भी करेगी. भक्तों के मन में हमेशा यह उत्सुकता बनी रहती है कि भगवान जगन्नाथ के रत्न भंडार में ऐसा क्या, जिसे अभी तक छुपा के रखा गया था। आइए जानते है
46 साल बाद खुला जगन्नाथ जी का खजाना- ओडिशा डिजास्टर रैपिड एक्शन फोर्स यानी ओडीआरएएफ के जवान पुरी के जगन्नाथ मंदिर के बाहर तैनात हैं। रत्न भंडार 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर का खजाना है, जिसे 46 सालों बाद खोला जा रहा है। खजाना आखिरी बार 1978 में खोला गया था। रत्न भंडार खोलने से पहले सुबह ‘आज्ञा’ की रस्म पूरी की गई, जिसमें रत्न भंडार के दरवाजो को फिर से खोलने के लिए प्रार्थना की जाती है।
ये भी जानें – जगन्नाथ मंदिर प्रशासन की ओर से हाई कोर्ट में दिए हलफनामे के मुताबिक, रत्न भंडार में 50 किलो 600 ग्राम सोना और 134 किलो 50 ग्राम चांदी है. इनका कभी इस्तेमाल नहीं हुआ. बाहरी कक्ष में 95 किलो 320 ग्राम सोना और 19 किलो 480 ग्राम चांदी है. इन्हें त्योहार के अवसर पर निकाला जाता है. वहीं, वर्तमान कक्ष में तीन किलो 480 ग्राम सोना और 30 किलो 350 ग्राम चांदी है। ऐसा बताया गया है।
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जानें कब-कब खुला भगवान का रत्न भंडार- इससे पहले भगवान जगन्नाथ के मंदिर का खजाना 1905, 1926 और 1978 में खोला गया था और बेशकीमती चीजों की लिस्ट बनाई गई थी. वर्ष 1978 में इस रत्नभंडार का आखिरी सर्वे किया गया था, जिसके मुताबिक मंदिर के रत्नभंडार में कुल कई किलो सोना मौजूद है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के गहने भी शामिल हैं।
