(प्रदीप कुमार )- मुंबई के एक दिवसीय दौरे पर आए लोक सभा अध्यक्ष, ओम बिरला ने आज जियो वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर में आयोजित पहले राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन में उद्घाटन भाषण दिया। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री, देवेंद्र फडणवीस, महाराष्ट्र विधान सभा के अध्यक्ष, एडवोकेट राहुल नार्वेकर और राज्य विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारी भी इस सम्मेलन में शामिल हुए । पूर्व लोक सभा अध्यक्ष, श्रीमती सुमित्रा महाजन, श्रीमती मीरा कुमार और शिवराज पाटिल भी समारोह में उपस्थित रहे।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पहली बार विधायक सम्मेलन आयोजित करने की पहल की सराहना की और आशा व्यक्त की कि चर्चा, विचार-मंथन और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने से विधानमंडलों को सशक्त और मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।बिरला ने कहा कि दुनिया के सबसे पुराने, सबसे बड़े और सबसे जीवंत लोकतंत्र के रूप में, भारत ने हमेशा लोकतांत्रिक प्रणालियों को सर्वोच्च स्थान दिया है। ओम बिरला ने कहा कि भारत में लोकतांत्रिक संस्थाएं न केवल अस्तित्व में रही हैं, बल्कि सदियों से विभिन्न क्षेत्रों में पनपी और फली-फूली हैं।स्पीकर बिरला ने विचार व्यक्त किया कि लोकतंत्र भारतीयों के स्वभाव में शामिल है और हमारे आचरण, विचारों और व्यवहार का हिस्सा है । यह स्वाभाविक था कि स्वतंत्र भारत ने संसदीय लोकतंत्र को हमारी शासन प्रणाली के रूप में चुना।
भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्षों की लोकतांत्रिक यात्रा की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए,ओम बिरला ने कहा कि राष्ट्र ने उल्लेखनीय प्रगति की है और शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे आदि क्षेत्रों में विकास हुआ है, जिसका लोगों के जीवन पर व्यापक सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि विधायी संस्थाओं ने भी इस महत्वपूर्ण यात्रा में समान रूप से योगदान दिया है और वे लोक कल्याण पर आधारित सशक्त प्रतिनिधि संस्थाओं के रूप में विकसित हुई हैं।
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लोगों के सामाजिक-आर्थिक कल्याण को सुनिश्चित करने में विधायी निकायों की भूमिका का उल्लेख करते हुए, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हमारे विधायी निकायों के कामकाज को गरिमापूर्ण तरीके से संचालित किया जाना चाहिए। हालांकि, उन्होंने इस तथ्य पर खेद व्यक्त किया कि सदनों में हंगामे और व्यवधान की घटनाएं चिंता का विषय हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि सुनियोजित तरीके से हंगामा करना, नारेबाजी और सदन को स्थगित करना हमारे लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है जिससे लोकतंत्र की गरिमा कम होती है।
ओम बिरला ने विचार व्यक्त किया कि सर्वोच्च जनप्रतिनिधि संस्था होने के नाते, विधानमंडलों से अपेक्षा की जाती है कि वे देश के अन्य संस्थानों और संगठनों के लिए एक आदर्श के रूप में कार्य करें। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि विधायकों को अनुशासन और शालीनता के उच्च मानदंडों को बनाए रखना चाहिए क्योंकि अमर्यादित व्यवहार की घंटनाओं से उनकी छवि धूमिल होती है, जनता के प्रतिनिधि होने के नाते उन्हें हमेशा कार्यपालिका को सदन के प्रति और सदन को जनता के प्रति जवाबदेह बनाने का प्रयास करना चाहिए। इस संदर्भ में, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि विधायकों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है क्योंकि वे नागरिक और कार्यपालिका के बीच महत्वपूर्ण कड़ी हैं उनका सबसे बड़ा दायित्व जनता के हितों, इच्छाओं, आकांक्षाओं और आवश्यकताओं से जुड़े मुद्दों को कार्यपालिका तक प्रभावी ढंग से पहुँचाना है । स्पीकर बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि, इस परिप्रेक्ष्य में, यह महत्वपूर्ण है कि विधानमंडलों में सार्थक चर्चा और संवाद होना चाहिए ताकि लोगों की समस्याओं का समाधान प्रभावी ढंग से हो ।
आधुनिक लोकतंत्र के संदर्भ में विधायकों की भूमिका पर बात करते हुए,ओम बिरला ने कहा कि उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे न केवल चर्चा और संवाद के माध्यम से समस्याओं का समाधान करें, बल्कि यह भी सुनिश्चित करें कि इस तरह की चर्चा उत्पादक हो और इससे वांछित उद्देश्यों की प्राप्ति हो।ओम बिरला ने आगे कहा कि लोकतंत्र नैतिक व्यवस्था है और इसलिए विधायकों के लिए यह आवश्यक है कि वे कमियों का आत्म-विश्लेषण करें और भविष्य की चुनौतियों का समाधान खोजें। उन्होंने कहा कि यदि चर्चा और संवाद से समस्याओं का समाधान नहीं निकलता है तो बाहरी हस्तक्षेप होगा, जो लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है। इसलिए नीतियों और मुद्दों पर व्यापक चर्चा और बहस होनी चाहिए जिससे हमारे विधानमंडल अधिक प्रभावी बनेंगे ।
हमारे लोकतंत्र को स्वरूप देने में संविधान की भूमिका के बारे में विस्तार से बताते हुए ओम बिरला ने कहा कि विधायकों के रूप में उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे संविधान द्वारा प्रदत्त स्वतंत्रता, समानता, न्याय आदि के आदर्शों को बनाए रखेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि विधानमंडलों में बनाए जाने वाले कानून लोगों के अधिकारों का आधार हैं। इन्हीं कानूनों से हमारा देश और जनता सशक्त हुए हैं और इसके लिए निष्ठापूर्वक कार्य करने की आवश्यकता है
उन्होंने विधायकों को आगाह करते हुए कहा कि जनप्रतिनिधि को न केवल अपने लोगों के प्रति जवाबदेह होना चाहिए, बल्कि अपने सभी कार्यों में पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने प्रतिभागियों से इस अनूठे मंच पर अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और एक-दूसरे से सीखने और सदनों और जनप्रतिनिधियों में जनता के विश्वास को बनाए रखने का आग्रह किया।ओम बिरला ने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम इनोवेशन एक्सपो का उद्घाटन भी किया। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम इनोवेशन एक्सपो का उद्देश्य सुशासन मॉडल, सामाजिक नवाचार और अभिनव विकास मॉडल, राज्य सरकारों, संस्थाओं, व्यक्तियों आदि के प्रमुख कार्यक्रमों का प्रदर्शन करना है।
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