नए संसद भवन में कार्यवाही के पहले दिन मोदी सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पेश कर चला बड़ा राजनीतिक दांव

( प्रदीप कुमार ) महिला आरक्षण विधेयक – संसद के नए भवन में आज मंगलवार से कार्यवाही शुरू हो गई है। पहले दिन की कार्यवाही के साथ ही लोकसभा में मोदी सरकार ने नया महिला आरक्षण विधेयक पेश कर बड़ा राजनीतिक दांव चल दिया है।

लोकसभा में 19 सितंबर 2023, दिन मंगलवार को 128वां संविधान संशोधन बिल यानी नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश किया गया है। इसके मुताबिक, लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% रिजर्वेंशन लागू किया जाएगा। इस फॉर्मूले के मुताबिक, लोकसभा की 543 सीटों में 181 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।

इससे पहले नई संसद में अपना पहला भाषण देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि देश की नारी शक्ति के लिए सभी सांसद मिलकर नए प्रवेश द्वार खोल दें, इसका आरंभ हम इस महत्वपूर्ण निर्णय से करने जा रहे हैं। महिलाओं के नेतृत्व में विकास के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए हमारी सरकार एक प्रमुख संविधान संशोधन विधेयक पेश कर रही है। इसका उद्देश्य लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी को विस्तार देना है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम के माध्यम से हमारा लोकतंत्र और मजबूत होगा।

नया महिला आरक्षण बिल पेश करने की प्रक्रिया के दौरान विपक्ष ने भारी विरोध किया। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान बिल लाया गया था। यह बिल अभी मौजूद है, अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इस बिल को क्यों नही लाया जा रहा। इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हम नया बिल लाए हैं। आप जानकारी दुरुस्त कर लीजिए। इसके बाद विपक्षी सांसदों ने बिल की कॉपी को लेकर हंगामा किया। इनका कहना था कि उन्हें बिल की कॉपी नहीं मिली है। इस पर सरकार ने कहा कि नई संसद की नई तकनीक है बिल को अपलोड कर दिया गया है।

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इसके बाद महिला आरक्षण बिल को पेश करते हुए कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि हम ऐतिहासिक बिल लाने जा रहे हैं। अभी लोकसभा में 82 महिला सांसद हैं, इस बिल के पास होने के बाद 181 महिला सांसद हो जाएंगी। यह आरक्षण सीधे चुने जाने वाले जन प्रतिनिधियों के लिए लागू होगा। यानी यह राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा।

संसद में महिलाओं के आरक्षण का प्रस्ताव करीब 3 दशक से पेंडिंग है। 2010 में मनमोहन सरकार ने राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण बिल को बहुमत से पारित करा लिया था। तब सपा और आरजेडी ने बिल का विरोध करते हुए तत्कालीन UPA सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी। इसके बाद बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया। तभी से महिला आरक्षण बिल पेंडिंग है। इससे पहले आज सुबह जब कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी संसद भवन पहुंची तो महिला आरक्षण बिल लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में सोनिया गांधी ने कहा था कि यह बिल अपना है।

अब मोदी सरकार ने नए संसद के पहले ही दिन महिला आरक्षण बिल पेश कर दिया है। हालांकि मोदी सरकार की ओर से लाये गए नए महिला आरक्षण विधेयक में सबसे बड़ा पेंच ये भी है कि यह डीलिमिटेशन यानी परिसीमन के बाद ही लागू होगा। ये परिसीमन इस विधेयक के बाद होने वाली जनगणना के आधार पर ही होगा। ऐसे में 2024 में होने वाले आम चुनावों से पहले जनगणना और परिसीमन करीब-करीब असंभव है। ज़ाहिर है ऐसे में मोदी सरकार के लाये बिल पर अब तमाम निगाहे रहेगी और सस्पेंस भी बना रहेगा।

 

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