सियाचिन बचाने वाले अदम्य साहस के प्रतीक कर्नल नरेंद्र ‘बुल’ का निधन, PM ने जताया शोक

नई दिल्ली: सियाचिन ग्लेशियर में पाकिस्तानी गतिविधियों का पता लगाकर उसको बचाने वाले रीयल हीरो और भारतीय सेना के प्रसिद्ध पर्वतारोही रिटायर कर्नल नरेंद्र ‘बुल’ कुमार (87) नहीं रहे।

बुल कुमार के नाम से मशहूर नरेंद्र कुमार का दिल्ली के सैन्य अस्पताल में निधन हो गया, उनकी रिपोर्ट पर ही सेना ने 13 अप्रैल, 1984 को ‘ऑपरेशन मेघदूत’ चलाकर सियाचिन पर कब्जा बरकरार रखा था।

यह दुनिया की सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र में पहली कार्रवाई थी। पीएम नरेंद्र मोदी ने उनके निधन को अपूरणीय क्षति बताया है।

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सेना ने उनके निधन की जानकारी देते हुए ट्वीट किया, कर्नल बुल ऐसे सोल्जर माउंटेनियर थे, जो कई पीढ़ियों के प्रेरणास्रोत रहेंगे। आज वह नहीं रहे, लेकिन अपने पीछे साहस, बहादुरी और समर्पण की गाथा छोड़ गए हैं।

1933 में रावलपिंडी में जन्मे कर्नल बुल को 1953 में कुमाऊं रेजिमेंट में कमीशन मिला। उनके तीन और भाई सेना में थे। कर्नल बुल ने 1977 में सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा करने का पाकिस्तानी मंसूबा को भांप लिया।

उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने सेना को ऑपरेशन मेघदूत चलाने की इजाजत दी। इसके बाद सेना पूरे सियाचिन पर कब्जा बरकरार रखा।

बता दें कि कर्नल बुल नंदादेवी चोटी पर चढ़ने वाले पहले भारतीय थे, इसके अलावा वह माउंट एवरेस्ट, माउंट ब्लैंक और कंचनजंघा पर भी तिरंगा फहरा चुके थे।

शुरुआती अभियानों में चार उंगलियां खोने के बाद भी उन्होंने इन चोटियों पर जीत हासिल की। कर्नल बुल 1965 में भारत की पहली एवरेस्ट विजेता टीम के उपप्रमुख थे। उन्होंने निकनेम ‘बुल’ हमेशा नाम के साथ लिखा।

उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल और कीर्ति चक्र जैसे सैन्य सम्मान के अलावा पद्मश्री तथा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नल नरेंद्र के निधन पर शोक व्यक्त किया।

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