राहुल गांधी ने गिनाए महिला आरक्षण बिल में कमियां, कहा- ‘अभी लागू हो सकता है यह अधिनियम

(प्रदीप कुमार)-संसद में महिला आरक्षण बिल को मंजूरी मिलने के बाद राहुल गांधी ने आज कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। राहुल गांधी ने कहा कि संसद के इस विशेष सत्र का मुख्य मुद्दा महिला आरक्षण था। महिला आरक्षण विधेयक पारित हो गया है लेकिन इसके साथ दो शर्तें भी थीं कि महिला आरक्षण लागू करने से पहले जनगणना और परिसीमन करवाना होगा, जिसे करने में कई साल लगेंगे।

राहुल गांधी ने दावा किया कि सच्चाई ये है कि महिला आरक्षण को आज लागू किया जा सकता है। संसद और विधानसभा में महिलाओं को आरक्षण दिया जा सकता है।लेकिन मोदी सरकार ये नहीं करना चाहती, वो सिर्फ गुमराह कर रही है। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि जातिगत जनगणना से गुमराह किया जा रहा है।राहुल गांधी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि वो OBC के लिए बहुत काम करते हैं। अगर वे OBC के लिए काम करते हैं, तो 90 सचिवों में से सिर्फ 3 सचिव OBC से क्यों हैं?ये OBC आफिसर्स देश के बजट का कितना और क्या कंट्रोल कर रहे हैं? राहुल गांधी ने कहा कि मुझे ये पता लगाना है कि हिन्दुस्तान में OBC कितने हैं और जितने हैं उतनी भागीदारी उन्हें मिलनी चाहिए।

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राहुल गांधी ने ओबीसी कोटे को बड़ा मुद्दा बनाते हुए कहा कि जितनी आबादी, उतनी हिस्सेदारी – ये हमारे OBC भाई-बहनों का हक़ है।Caste Census के आंकड़े अभी जारी करो, नई जनगणना जाति के आधार पर करो।महिला आरक्षण को 10 साल बाद नहीं, अभी से लागू करो।राहुल गांधी ने यह भी ऐलान किया कि हमारी सरकार आएगी तो जातिगत जनगणना कराएंगे। देश को पता चलेगा क‍ि OBC, दल‍ित और आद‍िवासी क‍ितने हैं।उन्हें देश चलाने में भागीदारी मिलेगी।आजादी का आंदोलन हिंदुस्तान के लोगों के हाथ में शक्ति सौंपने का एक तरीका था।राहुल गांधी ने कहा कि जातिगत जनगणना से जो डेटा निकलेगा, वह हिन्दुस्तान की जनता को और शक्ति सौंपने का एक तरीका है।हमें हिंदुस्तान के OBC, दलित, आदिवासियों और महिलाओं को शक्ति देनी है।

अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने यह भी कहा कि आप किसी भी BJP के MP से पूछ लीजिए कि वो कोई निर्णय लेते हैं?कानून बनाने में भाग लेते हैं? बिल्कुल नहीं।OBC के MP’s को मूर्ति बना रखा है, जिनके पास पावर बिल्कुल नहीं है।प्रेस कांफ्रेंस के दौरान राहुल गांधी ने 2010 में मनमोहन सरकार के महिला आरक्षण विधेयक में ओबीसी कोटा निर्धारित न करने को लेकर खेद भी जताया हैं और यह कहा कि अगर ऐसा होता तो शायद बिल तभी पारित हो गया होता।

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