( प्रदीप कुमार )- संसद में पारित हुआ महिला आरक्षण बिल अब राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद महिला आरक्षण बिल कानून बन जाएगा। हालांकि, पहले जनगणना और सीटों के परिसीमन का काम होगा। उच्च सदन में विधेयक पारित के बाद दोनों सदनों को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है।
संसद के दोनों सदनों ने देश की नारी शक्ति का वंदन कर ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ को मंजूरी दे दी है। नारी शक्ति वंदन विधेयक के माध्यम से लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। 128वें संविधान संशोधन विधेयक को गुरुवार को राज्यसभा में मध्य रात्रि तक चली चर्चा के बाद पारित किया गया। इसके बाद राज्यसभा को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया।वहीं लोकसभा भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।
राज्यसभा में संविधान संशोधन के कारण विधेयक को मत विभाजन के बाद अपनाया गया। संशोधित मत विभाजन के मुताबिक बिल के समर्थन में 214 वोट पड़े,विधेयक को सभी सदस्यों का समर्थन मिला और विरोध में कोई मत नहीं पड़ा। इस तरह विधेयक को पारित कराने के लिए आवश्यक दो तिहाई बहुमत मिल गया। विधेयक पर चर्चा में उच्च सदन के 72 सदस्यों ने भाग लिया।
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इससे पहले लोकसभा ने बुधवार को इस विधेयक को पारित कर दिया था। लोकसभा में महिला आरक्षण बिल के पक्ष में 454 वोट पड़े जबकि विरोध में ओवैसी की पार्टी के दो सांसदों ने मतदान किया।विशेष सत्र के दौरान लोकसभा के कामकाज की जानकारी देते हुए स्पीकर ओम बिरला ने इसे बेहद महत्वपूर्ण बताया।
अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा। आगे इसे देश की अधिकांश विधानसभाओं से भी मंजूरी दिलानी होगी।जानकारों का कहना है कि महिला आरक्षण बिल को अभी भी लंबा सफर तय करना है।जनगणना और परमीसन के बाद महिला आरक्षण विधेयक साल 2029 के लोकसभा चुनाव तक ही लागू हो सकेगा। इसे जनगणना के आधार पर संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों को फिर से तैयार करने के लिए परिसीमन के बाद लागू किया जाएगा। केंद्र सरकार ने कहा है कि इस प्रक्रिया को अगले साल शुरू किया जाएगा।