Schizophrenia: आपको भी डराते हैं आपके सपने, तो सावधान! हो सकते हैं सिजोफ्रेनिया के शिकार

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Schizophrenia: सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) एक मानसिक बीमारी है जिसमें व्यक्ति हमेशा भ्रम में रहता है और अपनी कल्पनाओं को सच मानने लगता है। दरअसल, हमारे ब्रेन में एक न्यूरोट्रांसमीटर होता है जिसे डोपामाइन कहते हैं, जो शरीर और दिमाग के बीच संतुलन बनाए रखता है। लेकिन डोपामाइन की अधिकता होने पर ये सिजोफ्रेनिया को जन्म देता है।

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इस मानसिक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति काल्पनिक और वास्तविक चीजों को समझने में भूल कर जाता है, जो उसके सोचने-समझने की क्षमता को खराब करता है। सिजोफ्रेनिया एक मानसिक रोग है जो अक्सर बचपन या किशोरावस्था में होता है। इस मानसिक स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित व्यक्ति को अक्सर भ्रम होने के साथ-साथ भयानक सपने दिखाई देते हैं।

लक्षण- सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति उदास होते हैं। वह आम लोगों की तरह सुख-दुख का अनुभव नहीं कर सकते हैं। किसी से बातचीत करना नहीं चाहते हैं। भूख-प्यास की परवाह नहीं करते। सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति के व्यवहार में अवसाद के लक्षण होते हैं और उनका व्यवहार असामान्य होता है। इस मनोवैज्ञानिक समस्या में आवाज सुनने का भ्रम होता है। किसी बात को भूल जाना और भ्रम में रहना कई चीजें, एक व्यक्ति या कोई आकृति दिखना और कुछ करना जो वास्तव में नहीं होता, ये सारे लक्षण सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति में दिखाई देते हैं।

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किसे होता है ज्यादा खतरा- सिजोफ्रेनिया का पारिवारिक इतिहास होने वाले लोगों में इस मानसिक स्वास्थ्य समस्या के विकसित होने का अधिक खतरा होता है। डोपामाइन इंसान के दिमाग में बढ़ना सिजोफ्रेनिया विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है। जन्म से पहले संक्रमण, कुपोषण, तनाव और बचपन की चोटों से भी इसका खतरा बढ़ा जाता है। करियर, बदलती जीवनशैली, पैसे कमाने की होड़, टूटते संयुक्त परिवार और घरेलू जिम्मेदारियां भी लोगों को सिजोफ्रेनिया का शिकार बना सकती है।

उपचार- अगर रोगी को शुरुआती चरण में ही उपचार दिया जाए, तो समस्या पकड़ में आ सकती है। वहीं, मनोवैज्ञानिक थेरेपी के माध्यम से मरीज का व्यवहार बदलने की कोशिश की जाती है। रोगी के परिवार को भी काउंसिलिंग मिलती है ताकि वे रोगी को संभाल सकें।

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