कांग्रेस का आरोप- गुजरात में अडानी पावर लिमिटेड ने किया 3900 करोड़ का घोटाला

प्रदीप कुमार- कांग्रेस ने आज बड़ा आरोप लगाया है कि गुजरात में भ्रष्टाचार का बड़ा नमूना सामने आया है। गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि गुजरात की भाजपा सरकार के साथ हुए ऊर्जा समझौते में अडानी पावर मुंद्रा लिमिटेड ने करीब 3,900 करोड़ का घोटाला किया है। अडानी पावर लिमिटेड ने ऊर्जा समझौते के तहत शर्तों का पालन नहीं किया, मगर इसके बावजूद भाजपा सरकार अडानी पावर लिमिटेड को हज़ारों करोड़ रूपये देती रही। यह बातें शक्ति सिंह गोहिल ने दिल्ली  कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस वार्ता करते हुए ये आरोप लगाए है। इस दौरान उनके साथ कांग्रेस संचार विभाग में मीडिया और पब्लिसिटी के चेयरमैन पवन खेड़ा भी मौजूद रहे।
शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि गुजरात सरकार ने अडानी पावर मुंद्रा लिमिटेड के साथ एक पावर परचेज एग्रीमेंट साइन किया था। इसमें शर्त थी कि इंडोनेशिया से जो भी कोयला आएगा, उसके तय मूल्य के आधार पर एनर्जी चार्जेज अडानी पावर मुंद्रा लिमिटेड को दिए जाएंगे। पावर परचेज एग्रीमेंट में लिखा गया कि अडानी जो भी कोयला खरीदेंगे, उसकी कॉम्पिटिटिव बिड और बिल के कागजात सरकार को देंगे, जिनकी तुलना सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मूल्य तय करने वाले सर्किट से करेगी। मगर अडानी पावर मुंद्रा लिमिटेड ने पांच साल तक इसके कोई बिल नहीं दिए, कोई कागजात नहीं सौंपे और सरकार एनर्जी चार्जेज के नाम पर हज़ारों करोड़ रुपया अतिरिक्त देती रही।

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शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद सुप्रीम कोर्ट की कमेटी बनी। इसके बाद कुछ लोगों ने आरटीआई लगाई। इससे अधिकारियों को डर लगा कि कहीं बात खुल गई तो उन्हें जेल जाना पड़ेगा। तब जाकर गुजरात सरकार ने अडानी पावर लिमिटेड को चिट्ठी लिखी।अगर अगर ऐसा न होता तो गुजरात सरकार के 3,900 करोड़ रुपये अडानी को चले जाते। ये पैसा पावर परचेज एग्रीमेंट का था,इसलिए इसका भार गुजरात के नागरिकों पर पड़ता।
शक्ति सिंह गोहिल ने आगे कहा कि सरकार की तरफ से अडानी पावर लिमिटेड को लिखी गई चिट्ठी में कहा गया कि आप हमें दस्तावेज नहीं सौंप रहे हैं, मगर हमने पांच साल में आपको 13,802 करोड़ दिए हैं, जबकि हमें आपको केवल 9,902 करोड़ देने थे। चिट्ठी में सरकार ने अडानी पावर लिमिटेड को आग्रह किया कि हमने आपको 3,900 करोड़ रुपये ज्यादा दे दिए हैं, उसे आप लौटा दीजिए।
शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि अडानी पावर लिमिटेड द्वारा कागजात नहीं देने के बाद सरकार पांच साल तक पैसे क्यों देती रही? ये मनी लॉन्ड्रिंग है, क्या इसकी जांच ईडी, सीबीआई को नहीं करनी चाहिए? सेबी को भी जांच करनी चाहिए। पांच साल तक 13,802 करोड़ रुपये किसके कहने पर दिए गए? 3900 करोड़ रुपये में से कितने वापस आए? सरकार की इच्छा इन पैसों पर ब्याज लेने की है या नहीं?

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