राम लला के पुजारियों की छह महीने की ट्रेनिंग की शुरूआत, मंदिर की पूजा पद्धति और परंपरा सिखाई जाएगी

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से बुधवार को 24 पुजारियों यानी अर्चक उम्मीदवारों का चयन किया गया। हालांकि इन 24 अर्चकों में से दो अभ्यर्थियों ने प्रशिक्षण शुरू होने के पहले ही प्रशिक्षण लेने से इनकार कर दिया और वापस चले गए।इन सभी का ट्रेनिंग सेशन गुरुवार से शुरू हुआ। करीब छह महीने की ट्रेनिंग के दौरान उन्हें श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में पूजा अनुष्ठान की विधि समझाई जाएगी और इसका टेस्ट लिया जाएगा। इसके बाद योग्य उम्मीदवार को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में अर्चक या उपासक के रूप में चुना जाएगा।उम्मीदवारों का मानना है कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की सेवा करना सौभाग्य की बात है।

Read also-ओडिशा में भुवनेश्वर-हावड़ा जनशताब्दी एक्सप्रेस में आग लगने की घटना, टला बड़ा हासदा

अर्चक ट्रेनिंग प्रोग्राम के ट्रेनरों का कहना है कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर दुनिया का आदर्श मंदिर बनता जा रहा है, इसलिए अगर वहां कोई उपासक है तो उसे न केवल योग्य व्यक्ति होना चाहिए बल्कि उसकी परंपराओं का भी पूरा ज्ञान होना चाहिए।लगभग छह महीने के इस ट्रेनिंग सेशन में हर उम्मीदवार को ट्रेनिंग के दौरान हर महीने 2000 दिए जाएंगे। दो उम्मीदवार इतनी लंबी ट्रेनिंग पर असहमति जताते हुए वापस चले गए। इसलिए, अब 22 उम्मीदवारों को ट्रेनिंग दी जाएगी।

दुर्गेश, अर्चक उम्मीदवार:घर परिवार को छोड़ करके, अवध में निवास किया तो रामलला का प्रथम था कि दर्शन तब करूंगा जब रामलला का भव्य मंदिर बनेगा और हमारा सौभाग्य अति है कि 2009 से और आज मुझे प्रशिक्षक के रूप में आगे ठाकुर जी की, ट्रस्ट की जैसी बात होगी, तो बहुत आनंद, हर्ष की बात होगी। मैं महंत पद पर भी हूं लेकिन सब कुछ छोड़ करके एक ही अभिलाषा है कि रामलला की सेवा का सौभाग्य मिले, ये हमारे जीवन का प्रथम और संत का यही उद्देश्य भी होना चाहिए।”
सत्यनारायण दास, इंस्ट्रक्टर:कोई भी यदि वहां का अर्चक है तो सीधे ही केवल यदि उसे शास्त्रों का ज्ञान है तो जाकर सीधे ही पूजा न करेगा। जो लोग परंपराओं से मंदिरों में पूजा कर रहे हैं, ऐसे विद्वान आचार्यों के संरक्षण में उसे सारी क्रियाएं पहले उनसे यहां पर करा ली जाएंगी और उनमें जो योग्य लोग होंगे, कुछ लोगों का चयन करके, उन्हें अर्चक के रूप में मंदिर में स्थापित किया जाएगा।

गोविंद देवगिरी, कोषाध्यक्ष, श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट:निश्चित रूप से चाहेंगे कि ऐसे पंडितों का प्रशिक्षण यहां पर होता रहे। चाहे रामजी के मंदिर की बात हो, चाहे अन्यान मंदिर की बात हो, जहां पर अधीत, विद्वान और संस्कार संपन्न अर्चक होते हैं, पुजारी होते हैं, निश्चित रूप से वहां पर भगवान की सेवा उत्तम रीति से होती है, इसलिए हम तो चाहेंगे अनव रूप से रहे लेकिन अभी जो हमारा ये प्रकल्प है, ये छह महीनों के लिए है।

( Source PTI )

Top Hindi NewsLatest News Updates, Delhi Updates, Haryana News, click on Delhi FacebookDelhi twitter and Also Haryana FacebookHaryana TwitterTotal Tv App

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *