पांच अक्टूबर, 2023 को अपना फैसला सुरक्षित रखने के बाद, चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात-जजों की संविधान पीठ ने इस मामले पर फैसला सुनाया।सुनवाई के दौरान, केंद्र ने कहा था कि रिश्वतखोरी कभी भी छूट का विषय नहीं हो सकती। संसदीय विशेषाधिकार का मतलब किसी को कानून से ऊपर रखना नहीं है।
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सुप्रीम कोर्ट ने फैसला … रख लिया था सुरक्षित
अटॉर्नी जनरल, सॉलिसिटर जनरल और एमिकस क्यूरी पी. एस. पटवालिया इस मामले में कोर्ट की मदद कर रहे थे। दो दिन तक कई वकीलों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।सात न्यायाधीशों की पीठ जेएमएम रिश्वत मामले में 1998 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ की तरफ से दिए गए फैसले पर पुनर्विचार कर रही थी। इस फैसले के तहत सांसदों और विधायकों को लोकसभा और विधानसभा में भाषण देने या वोट देने के लिए रिश्वत लेने पर मुकदमें से छूट दी गई थी।
ये “राजनीति की नैतिकता” पर महत्वपूर्ण असर…
देश को झकझोर देने वाले झामुमो रिश्वत कांड के 25 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर दोबारा विचार किया।सुप्रीम कोर्ट ने 20 सितंबर, 2023 को अपने पहले के फैसले पर पुनर्विचार करने पर सहमति जताते हुए कहा था कि ये “राजनीति की नैतिकता” पर महत्वपूर्ण असर डालने वाला मुद्दा है।1998 में, पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने पी. वी. नरसिम्हा राव बनाम सीबीआई मामले में दिए गए अपने बहुमत के फैसले में कहा था कि सांसदों को संविधान के अनुच्छेद 105 (2) और 194(2) के तहत सदन के अंदर दिए गए किसी भी भाषण और वोट के लिए आपराधिक मुकदमा चलाने से छूट मिली हुई है।
(SOURCE PTI )