Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से डाले गये वोट का वीवीपैट यानी ‘वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल’ के साथ पूरी तरह वेरिफिकेशन कराने का अनुरोध करने वाली सभी याचिकाएं शुक्रवार को खारिज कर दीं। स्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने मामले में सहमति वाले दो फैसले सुनाए।
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जस्टिस खन्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अदालत ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है जिनमें दोबारा बैलेट पेपर से चुनाव कराने की प्रकिया अपनाने का अनुरोध करने वाली याचिका भी शामिल है। प्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सभी मांगों को खारिज करते हुए कहा कि चुनाव आयोग इस बात की जांच करेगा कि क्या हम सभी बैलेट पेपरों पर बार कोड लगा सकते हैं जिनकी बाद में मशीन से काउंटिंग की जा सकती है।
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याचिकाकर्ता की क्या थी अपिल ?
याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण का कहना है कि हमारा मत था कि ईवीएम में एक प्रोग्रामेबल मेमोरी होती है, जिससे एसेंबल लोडिंग की जाती है और इसलिए इनको मेनिपुलेट किया जा सकता है। इस वजह से ये जरूरी है कि जो वीवीपैट का पूरा पेपर ट्रेल का ऑडिट होना चाहिए, सारे वीवीपैट स्लिप्स को काउंट करना चाहिए क्योंकि वीवीपैट में भी काला शीशा लगा दिया गया था। हमारा कहना था कि या तो ट्रांसपैरेंट शीशा लगाइए या फिर वोटर के हाथ में दीजिए। लेकिन सु्प्रीम कोर्ट ने ये हमारी सारी मांगों को ठुकरा दिया है।