Supreme Court: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार यानी की आज 14 फरवरी को तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी) को इस बात के लिए फटकार लगाई कि उसने मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ दो साल बाद न्यायालय का रुख किया है जिसमें ईशा फाउंडेशन को 2006 से 2014 के बीच विभिन्न भवनों के निर्माण के लिए जारी कारण बताओ नोटिस को खारिज कर दिया गया था।
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बता दें, अदालत ने महाधिवक्ता पी. एस. रमन से कहा कि अब जब ईशा फाउंडेशन ने कोयंबटूर जिले के वेल्लियांगिरी में एक योग और ध्यान केंद्र का निर्माण कर लिया है, तो राज्य सरकार को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि पर्यावरण नियमों का अनुपालन हो। ईशा फाउंडेशन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत से शिवरात्रि के बाद मामले की सुनवाई करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि एक बड़ा समारोह आयोजित किया जाना है। बैंच ने मामले में सुनवाई के लिए शिवरात्रि के बाद की तारीख तय की।
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अदालत ने 14 दिसंबर, 2022 को सुनवाई के दौरान माना कि कोयंबटूर में ईशा फाउंडेशन द्वारा स्थापित केंद्र ‘शिक्षा’ श्रेणी में आएंगे। उच्च न्यायालय ने टीएनपीसीबी के नोटिस को खारिज कर दिया, जिसमें पूछा गया था कि 2006 और 2014 के बीच अलग-अलग भवनों के निर्माण के लिए अभियोजन क्यों नहीं चलाया जाना चाहिए। उच्च न्यायालय ने फाउंडेशन की ओर से इसके संस्थापक जग्गी वासुदेव द्वारा प्रस्तुत याचिका को स्वीकार करते हुए 19 नवंबर, 2021 के नोटिस को रद्द कर दिया। कारण बताओ नोटिस में कहा गया था कि फाउंडेशन ने पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त किए बिना वेल्लिंगिरी पर्वतीय क्षेत्र में इमारतों का निर्माण किया था। केंद्र सरकार ने पहले उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि फाउंडेशन एक स्कूल चलाने के अलावा योग का प्रशिक्षण भी दे रहा है, इसलिए, ये‘शिक्षा’ के दायरे में आएगा।
