नई दिल्ली, (अवैस उस्मानीन) धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों में जांच एजेंसी परिवर्तन निदेशालय को मिली शक्तियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मामले में चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम ने पुनर्विचार याचिका दाखिल किया है।
पीएमएलए मामले पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने कहा कि यह कानून बहुत अहम है। हम पूरी तरह से काले धन या मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम के समर्थन में है, देश ऐसा अपराध को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि हमें लगता है कि कुछ मुद्दों को फिर से देखने की आवश्यकता है। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि हम सिर्फ 2 पहलू को दोबारा विचार लायक मानते हैं, पहला ECIR (ED की तरफ से दर्ज FIR) की रिपोर्ट आरोपी को न देने का प्रावधान और दूसरा खुद को निर्दोष साबित करने का ज़िम्मा आरोपी पर होने का प्रावधान
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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने बुधवार को मामले में खुली अदालत में सुनवाई और मौखिक दलीलें रखने की इजाजत मांगने वाली याचिका को स्वीकार कर लिया था। कांग्रेस सांसद कार्ति पी चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट में ED की शक्तियों को बरकरार रखने के 27 जुलाई के फैसले पर फिर से विचार करने के लिए याचिका दाखिल की थी।
दरअसल 27 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) मामले बड़ा फैसला सुनाते हुए, ED की तरफ दर्ज केस में फांसी लोगों को बड़ा झटका देते हुए PLMA कानून के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका को खरिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि साल 2018 में कानून में किए गए संशोधन सही हैं, इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के सभी अधिकारों को बरकरार रखा था।
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