Supriya Shrinet- SBI द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड डोनर के नाम सार्वजनिक करने के लिए पांच माह का समय मांगने पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत(Supriya Shrinet) ने मंगलवार को कहा कि भाजपा और मोदी सरकार ने स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया पर लोकसभा चुनाव से पहले चुनावी बॉन्ड दाताओं के नाम सार्वजनिक न करने का दबाव बनाया है। चुनावी बॉन्ड योजना की इकलौती सबसे बड़ी लाभार्थी भाजपा को डर है कि उसके चंदा देने वाले मित्रों की जानकारी सार्वजनिक होते ही उसकी बेईमानी और मिलीभगत का भंडाफोड़ हो जाएगा। इसलिए एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से पांच माह का और समय मांगा है, जिसका साफ़ मतलब है कि चुनाव से पहले यह जानकारी सार्वजनिक न हो पाए। सुप्रिया श्रीनेत (Supriya Shrinet) ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बीती 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लोकतंत्र में किसने किस पार्टी को कितना पैसा दिया, यह सच जानने का हक जनता को है। सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को आदेश दिया था कि छह मार्च तक इलेक्टोरल बॉन्ड डोनर के नाम सार्वजनिक किए जाएं और चुनाव आयोग के साथ साझा किए जाएं। अब एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से 30 जून तक का वक्त मांगा है, क्योंकि वो इलेक्टोरल बॉन्ड का डाटा देने में असमर्थ है।
Read also- Karnataka: राज्य से कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवारों की पहली लिस्ट 7 मार्च को तय की जाएगी-सीएम डी. के. शिवकुमार
श्रीनेत ने कहा कि भाजपा को डर है कि उसके चंदा देने वाले मित्रों की जानकारी सार्वजनिक होते ही चंदा कौन दे रहा था, उसके बदले उसको क्या मिला, उनके फायदे के लिए कौन से कानून बनाए गए, क्या चंदा देने वालों के खिलाफ जांच बंद की गई, क्या चंदा लेने के लिए जांच की धमकी दी गई, यह सब जानकारी मतदाताओं को चल जाएगी।
श्रीनेत ने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष के अंत तक करीब 12 हजार करोड़ रुपये इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक पार्टियों को मिले, जिसमें सिर्फ भाजपा को करीब 6,500 करोड़ रुपये मिले। भाजपा को अकेले 55 प्रतिशत धनराशि और कांग्रेस को केवल 9.3 प्रतिशत प्राप्त हुई थी। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि एक रिपोर्ट के अनुसार 30 ऐसी कंपनियों ने करीब 335 करोड़ रुपयों का चंदा भाजपा को दिया था, जिनके ऊपर 2018 से 2023 के बीच एजेंसियों की कार्रवाई हुई थी। इनमें से 23 ऐसी कंपनियां थीं, जिन्होंने पहले कभी किसी भी पार्टी को चंदा नहीं दिया था।
Read also – PM Modi: परिवारवाद पर सियासी संग्राम, पीएम मोदी ने दिया ये बयान
श्रीनेत ने सवाल पूछते हुए कहा कि देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई को सिर्फ 22,217 इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने के लिए पांच माह का समय क्यों चाहिए। इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने की अंतिम तिथि से पहले एसबीआई अचानक से क्यों जागा। एसबीआई पर कौन दबाव बना रहा है। कौन है जो आर्थिक अनियमितता और कालेधन के इस गोरखधंधे को पनपने दे रहा था।
क्या लोकतंत्र में जनता को यह हक नहीं है कि किसने, किस पार्टी को, कितना पैसा दिया है, जिसे देखकर जनता वोटिंग का मन बना सके। कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष स्टेट बैंक ने जानकारी देने के लिए नहीं, बल्कि भाजपा के कुकर्मों को छिपाने के लिये समय मांगा है। देश की जनता अब अच्छे से समझ रही है कि किस तरह से सरकारी एजेंसियों और संस्थाओं पर दबाव डालकर सच्चाई को छिपाया जा रहा है।