CPA India Region Conference : संसद परिसर में 23 सितंबर को शुरू हुआ 10वां राष्ट्रमंडल संसदीय संघ सीपीए भारत क्षेत्र सम्मेलन आज संपन्न हो गया। समापन सत्र की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने की,जो सीपीए भारत क्षेत्र के अध्यक्ष भी हैं।इस अवसर पर ओम बिरला ने कहा कि विधानमंडलों में हंगामा और कटुता चिंता का विषय है।ओम बिरला ने कहा कि इस मुद्दे पर समय-समय पर पीठासीन अधिकारियों से चर्चा की गई है और पीठासीन अधिकारियों से सदन की कार्यवाही गरिमा और शिष्टाचार के साथ तथा भारतीय मूल्यों और मानकों के अनुसार संचालित करने का आग्रह किया गया है।
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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सदन की परंपराएं और प्रणालियां भारतीय प्रकृति की होनी चाहिए और नीतियां और कानून भारतीयता की भावना को मजबूत करने वाले होने चाहिए ताकि ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का संकल्प पूरा हो सके। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि पीठासीन अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि सदन सभी की भागीदारी के साथ सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों पर गरिमापूर्ण चर्चा का केंद्र बने। किसी भी देश और राज्य के विकास में विधानमंडलों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए ओम बिरला ने कहा कि हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं को जनता से जुड़ने और उनकी आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए।लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि पीठासीन अधिकारियों को देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं को पारदर्शी, जवाबदेह बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए। लोकसभा अध्यक्ष ने यह भी सुझाव दिया कि विधानमंडलों के प्रभावी कामकाज के लिए नए सदस्यों को सदन के कामकाज, सदन की गरिमा और शिष्टाचार और जनता के मुद्दों को उठाने के लिए उनके पास उपलब्ध विधायी साधनों के उपयोग से संबंधित व्यापक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। लोकसभा अध्यक्ष ने आग्रह किया कि पीठासीन अधिकारियों को दलों के बीच निरंतर और सुसंगत संवाद बनाए रखना चाहिए और राजनीति के नए मानक स्थापित करने चाहिए।
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इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कि विधायी निकाय अपने राज्यों में विधानमंडलों में प्रक्रियाओं और अभिलेखों का डिजिटलीकरण कर रहे हैं और सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करके जनप्रतिनिधियों की क्षमता निर्माण के लिए उपाय कर रहे हैं, लोकसभा अध्यक्ष ने आशा जतायी है कि ऐसे उपाय विधानमंडलों की दक्षता और प्रभावशीलता में सुधार करने में काफी मददगार साबित होंगे।लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यह भी आश्वासन दिया कि सम्मेलन के दौरान पीठासीन अधिकारियों द्वारा उठाए गए मुद्दों जैसे वित्तीय स्वायत्तता, सदनों के सत्रों में दिनों की संख्या में कमी, ई-विधान आदि पर आगे चर्चा की जाएगी और स्वीकार्य समाधान निकाले जाएंगे।
आखिर में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आशा जतायी कि दो दिवसीय सम्मेलन विधानमंडलों के कामकाज में स्पष्ट परिणाम लाएगा। ओम बिरला ने सुझाव दिया कि पीठासीन अधिकारियों को नई सोच,नई दृष्टि के साथ काम करना चाहिए और भविष्य के लिए नए नियम और नीतियां बनानी चाहिए। ओम बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि सतत और समावेशी विकास का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए। सम्मेलन में चार अध्यक्षों और 25 स्पीकरों सहित 42 पीठासीन अधिकारियों के साथ उनके प्रमुख सचिव/सचिव और उनके साथ आए अधिकारी शामिल हुए। सम्मेलन का विषय था “सतत और समावेशी विकास की प्राप्ति में विधायी निकायों की भूमिका।”सम्मेलन से पहले 23 सितंबर, 2024 को सीपीए भारत क्षेत्र की कार्यकारी समिति की बैठक हुई।सम्मेलन के दूसरे दिन आज लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राज्य विधान निकायों के पीठासीन अधिकारियों के साथ संसद परिसर में प्रेरणा स्थल पर प्रतिष्ठित व्यक्तियों को श्रद्धांजलि अर्पित किये।