राहुल गांधी की पेशी से पहले कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर निशाना साधा।
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कायर मोदी सरकार सत्य की आवाज के खिलाफ फिर डर गई है। मोदी सरकार और उसके पिट्ठू ‘‘इलेक्शन मैनेजमेंट डिपार्टमेंट’’ – ED ने सत्य को ललकारा है। सत्य को आवरण की जरूरत नहीं, न उसे दबाया जा सकता है और न झुकाया जा सकता है।
दिल्ली में कायर मोदी सरकार की पुलिस के हजारों नाके व अघोषित आपातकाल इस बात का सबूत है कि सत्याग्रह की राहुल गांधी व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्याग्रह से सरकार की चूलें हिल गई हैं।
राहुल गांधी के नेतृत्व में शांतिप्रिय व गांधीवादी तरीके से सत्याग्रह की मार्च तो निकलेगी ही। न इसे अंग्रेज दबा पाए और न ही उस समय अंग्रेजों के मुखबिर बने आज के सत्ताधारी हुक्मरान दबा पाएंगे। हम दृढ़ता से, शांतिप्रिय तरीके से बीजेपी के ‘इलेक्शन मैनेजमेंट डिपार्टमेंट’ के कार्यालय जाएंगे, तथा उनकी ‘झूठ की अदालत’ में सत्य पर आधारित हर सवाल का जवाब भी देंगे। यही हमारा संकल्प है, और यही गांधी का रास्ता।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को झुकाने के लिए मोदी जी ने पिछले 8 साल से एड़ी चोटी का जोर लगा रखा है। लेकिन, राहुल गांधी और कांग्रेस का हर नेता व कार्यकर्ता देश के साधारण व्यक्ति, मध्यम वर्ग, गरीब और दलित की आवाज उठाने के अपने कर्तव्य पर अडिग हैं। हम लोकतंत्र के सिपाही हैं और संविधान के रखवाले। हम न डरेंगे और न झुकेंगे और हर भाजपाई हथकंडे को विफल करेंगे।
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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 136 साल से इस देश के हर व्यक्ति की आवाज है। हम उस गांधी के वंशज हैं, जिन्होंने निहत्थे रहकर देश की जनता की ताकत के बल पर दुनिया की सबसे बड़ी तानाशाही ताकत को हिंदुस्तान छोड़कर भागने पर विवश कर दिया था। कांग्रेस उस पंडित नेहरू की वैचारिक सोच है, जिन्होंने देश की आजादी के आंदोलन में 10 साल कारावास में बिताए और राष्ट्रनिर्माण का संकल्प पूरा कर दिखाया। हम उस सरदार पटेल के उत्तराधिकारी हैं, जिन्होंने आजाद भारत को पंडित नेहरू के साथ कंधे से कंधा मिला एक सूत्र में पिरोया। हम मौलाना अब्दुल कलाम आजाद और डॉ. राजेंद्र प्रसाद की सोच हैं, जिन्होंने जिन्ना के विभाजनकारी एजेंडे को सिरे से खारिज कर दिया। हम उन ‘माफीवीरों’ के अनुयाई नहीं, जो कारागार की दीवारें देखकर अंग्रेजों को माफीनामे लिख आए थे।
नेशनल हेराल्ड अखबार, जिसके सहारे आप कांग्रेस के नेतृत्व को झुकाना चाहते हैं और डराना चाहते हैं, यह उसी स्वतंत्रता संग्राम की साल 1937 में स्थापित पहचान भी है और आवाज भी। जब आज के हुक्मरान अंग्रेजों की मुखबिरी कर रहे थे तब कांग्रेस के लोग इस देश की मिट्टी को अपने खून और पसीने से सींच रहे थे। उन स्वतंत्रता सेनानियों की आवाज है ये नेशनल हेराल्ड अखबार।
मोदी जी, जब नेशनल हेराल्ड अखबार ( और उसकी मालिक 1937 में बनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड) पर कर्ज का गंभीर संकट आया, और समाचार पत्र को चलाने के लिए कठोर परिश्रम करने वाले कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पा रहा था, तब कांग्रेस पार्टी ने साल 2002 से 2011 तक दस वर्षों में 90 करोड़ रुपया इस संस्थान को देकर देश की विरासत को बचाने का काम किया।