Time: अक्सर ऐसा होता है कि जब हम महीने पहले या हफ्ते पहले की बात करें तो हमें लगता है कि ये तो ऐसा लगता है माने कल की ही बात हो। जब हम अपनी पुरानी यादों को ताजा करते हैं तो हमें लगता है कि जैसे समय बस उड़ता जा रहा है। ऐसा सिर्फ आपके या हमारे साथ नहीं होता बल्कि हर किसी के साथ ऐसा होता है। ऐसा सिर्फ इसलिए होता है क्योंकि बीतते टाइम के साथ हमारी समय को लेकर सोच बदल जाती है।
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क्या है इसके पीछे की वजह ?
इसका कारण समय के साथ हमारे शरीर और दिमाग में होने वाले बदलाव भी है। विशेषज्ञों का कहना है कि हमारा दिमाग हमारे कामों, सोच और दिनचर्या को छवि के रूप में स्टोर करता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है तो हमारी दिमागी तंत्रिका कमजोर हो जाती है। जिसके कारण ज्यादा यादों को स्टोर नहीं कर पाती और इसी वजह से उम्र बढ़ने के साथ व्यक्ति की याददाश्त कमजोर हो जाती है। जब मस्तिष्क की तंत्रिका कमजोर हो जाती है तो वो हमारी दिनचर्या की छवि को प्रोसेस करने में अधिक समय लगता है जिसकी वजह से हमें ऐसा लगता है जैसे वक्त रेत की तरह हाथ से निकल रहा है।
मन का समय घड़ी के समय से होता है अलग
असल में समय के भी प्रकार हैं। अब यह बात जानकर आप चौंक सकते हैं क्योंकि हम सभी ने सुना है कि समय एक ही होता है वो भी जो हमारी घड़ी में चलता है। हम यह बात इसलिए कह रहे हैं कि जब आप किसी का इंतजार करते हैं तो आप देखते हैं कि समय बीतता ही नहीं, जब आप काफी बिजी होते हैं तो आपने देखा होगा कि घंटे कब बीत जाते हैं हमें पता ही नहीं चलता । ऐसे ही एक होता है मन का समय। मन का समय वह समय होता है जो हमारे दिमाग में बनने वाली छवि पर निर्भर करता है। जितनी देर में हमारा मस्तिष्क फोटो का प्रोसेस करेगा, उसके अनुसार हमें समय बीतता हुआ दिखाई देता है। घड़ी का समय अपने अनुसार चलता है, वह किसी के दिमाग की छवि या किसी दूसरे कारक पर निर्भर नहीं करता।
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क्यों लंबे लगते हैं दिन और क्यों घट जाता है समय ?
जब आप किसी काम को करते हैं जो आपको अच्छे से आता है, वह काम आप कम समय में कम कर लेते हैं जिससे आपको यह अहसास नहीं होगा कि समय जल्दी भाग रहा है। वहीं आप किसी नए काम को करते हैं तो उसमें आपको अधिक समय लगेगा। अब घड़ी का समय अपनी गति से चल रहा है लेकिन दिमागी समय के अनुसार उसमें प्रोसेसिंग स्लो चलती है। काम करने में समय लगने के कारण आपको लगता है कि कितनी जल्दी टाइम निकल रहा है।
सरल शब्दों में कहा जाए तो युवावस्था के समय हमारी मस्तिष्क तंत्रिका काफी मजबूत होती है तो दिमाग जल्दी से हमारे कामों को छवि में बदल देता है जिससे हमें चीजें याद रहती है । जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है तो शारीरिक बदलाव के कारण यह तंत्रिका कमजोर हो जाती है। जब तंत्रिका कमजोर होती है तो प्रोसेसिंग में समय लगता है। समय अपनी गति से चलता रहता है प्रोसेसिंग स्लो होने के कारण समय निकल जाता है और हमें लगता है कि समय जल्दी भाग रहा है।
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अगर बात की जाए कि कई बार समय लंबा लगता है यानि कि आपको लगता है कि समय कट ही नहीं रहा। जब आपका दिमाग स्थिर हो आपको सोचने के लिए समय मिले तब दिमाग छवि आराम से तैयार कर लेता है। जिसके कारण हम हर पल का अनुभव कर सकते हैं।
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