UP: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में गीता प्रेस दुनिया में हिंदू धार्मिक ग्रंथों की सबसे बड़ी प्रकाशक है। इस संस्था की स्थापना साल 1923 में हुई थी। 100 साल पुरानी गीता प्रेस के पास अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से रामचरितमानस और दूसरी धार्मिक पुस्तकों के ऑर्डर्स का अंबार लग गया है।
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हाईटेक मशीनों की क्षमता
मांग में बढ़ोत्तरी को देखते हुए गीता प्रेस ने जापान और जर्मनी जैसे देशों से करोड़ों रुपये की हाईटेक प्रिंटिंग मशीनें खरीदी हैं। जो एक घंटे में 1600 से ज्यादा पुस्तकें छापने की क्षमता रखती हैं। हाईटेक नई मशीनों के जरिए फोटो के साथ रंगीन पेजों की छपाई हो रही है और बड़ी संख्या में छपाई का काम चल रहा है।
गीता प्रेस के मैनेजर लालमणि त्रिपाठी ने बताया..
गीता प्रेस के मैनेजर लालमणि त्रिपाठी ने बताया कि जो रामचरितमानस की मांग ही नहीं हमारी सभी पुस्तकों की मांग बहुत जबरदस्त है और इसका कारण भी है कि 100 वर्ष का पाठकों का विश्वास गीता प्रेस पर है, इसलिए वे रामचरितमानस भी किसी और जगह की पढ़ना ही नहीं चाहते, लोग बांटने के लिए भी रामचरितमानस यहां से ले रहे हैं और लोगों को प्रेरित भी कर रहे हैं। अब एक नई परंपरा भी और देखने में आ रही है कि लोग गिफ्ट कर रहे हैं रामचरितमानस का किसी आयोजन पर, अगर किसी को कुछ देना है तो गिफ्ट भी कर रहे हैं।
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उन्होंने बताया कि तीन मशीनें आई हैं इसकी लागत कुल लगभग 9 करोड़ रुपये हैं वैसे हम लोगों ने इस बार प्रकाशन के कामों पर हमारे जो और संसाधन हैं सबको मिलाकर लगभग 11 करोड़ रुपये खर्च किया है और अभी बाइंडिंग की और मशीन की खोजबीन जारी है, जो जिल्द बनाने वाली मशीन है और अभी एक मशीन जापान से आनी है वो कल दिल्ली पहुंच जाएगी और वहां से रवाना होकर यहां आएगी।