Pollution: प्रदूषण की मार लोगों को लगातार झेलनी पड़ रही है, जिसकी वजह से लोगों को सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन और फेफड़ों से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली के कई शहरों का AQI 400 पार होकर गंभीर श्रेणी में पहुंच चुका है। WHO के आकलन के अनुसार, दुनिया भर में 70 लाख लोग दिल्ली के स्मॉग जैसी हालत की वजह से समय से पहले अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं।
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पर्यावरण संगठन ग्रीनपीस ने 2018 में भारत में प्रदूषण की स्थिति पर एक रिसर्च की थी जिसमें पाया गया कि उस समय दुनिया के 30 प्रदूषित शहरों में से 22 भारत के थे। उस अध्ययन में पाया गया कि हवा में मौजूद दूषित कण WHO द्वारा तय मानकों से काफी ऊपर था। हवा में मौजूद कार्बन के कण, धुंए के कण और दोनों का मिश्रण हो सकता है। सबसे ज्यादा प्रदूषण दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा जैसे इलाके में दर्ज किया जाता है।
किन कारणों से बढ़ता है प्रदूषण ?
वाहनों का धुआं- दिल्ली या इसके आस-पास के इलाकों में वाहनों का उत्सर्जन बेहद ज्यादा होता है। वाहनों के उत्सर्जन के कारण यहां के वातावरण में धूल के कण मिल जाते हैं जिसके कारण प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है। दिल्ली सरकार का कहना है कि यहां की सड़कों पर प्रत्येक दिन 30 लाख गाड़ियां दौड़ती है।
पराली जलाना- पराली जलाना भी एक महत्वपूर्ण कारक माना जाता है। भारत एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है, जहां पर बड़े पैमाने पर कृषि की जाती है और उसके बाद फसल के बचे हुए ठूंठ को जला दिया जाता है। समस्या यह है कि पश्चिमी हवाएं हर साल पराली से निकलने वाले धुएं को उड़ाकर दिल्ली की ओर ले जाती है, जिसके कारण यहां हर साल प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।
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निर्माणाधीन कार्य – जब दिल्ली के आसमान में स्मॉग की चादर छाने लगती है तो आस-पास चल रहे निर्माणधीन काम पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। प्रदूषण के कारणों में ये भी शामिल है क्योंकि इससे निकलने वाला धुंआ जब हमारे वातावरण में घुल जाते हैं तो ये इसे दूषित कर देते हैं। दिल्ली के इलाके में मैन्युफैक्चरिंग का काम अधिक चलता है, जिसके कारण प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है।
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