कांग्रेस कार्य समिति CWC ने द्वारा प्रस्ताव पारित किया- सर्वदलीय बैठक और संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की

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कांग्रेस ने आज विशेष बैठक आयोजित की। सीजफायर के बाद आयोजित इस बैठक में राहुल गांधी,केसी वेणुगोपाल,प्रियंका गांधी और CWC के सदस्य शामिल रहे। बैठक के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश और पवन खेड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। दोनों नेताओं ने सीजफायर को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप के बयान का हवाला देकर केंद्र सरकार के सवाल पूछे। वहीं कांग्रेस कार्य समिति CWC में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि- कांग्रेस कार्य समिति पहलगाम में शहीद हुए सैनिकों, अधिकारियों, और पूंछ में मारे गए निर्दोष नागरिकों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करती है। भारतीय सशस्त्र बलों ने बार-बार हमारे राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करते हुए अद्वितीय वीरता का प्रदर्शन किया है। कांग्रेस पार्टी हमारे सशस्त्र बलों के प्रति पूर्ण समर्थन दोहराती है।
हालांकि, पहलगाम में हुआ हमला कई गंभीर और चिंताजनक सवाल खड़े करता है, जो एक संभावित खुफिया विफलता की ओर इशारा करता है। क्षेत्र में पहले से तनाव और ज्ञात खतरों के बावजूद, आतंकवादी एक बड़ा हमला करने में सफल रहे, जिसमें कई कीमती जानें चली गईं। यह अत्यंत चिंता का विषय है कि हमलावर अब तक फरार हैं। कांग्रेस कार्य समिति सरकार से स्पष्ट मांग करती है कि इन आतंकवादियों को जल्द से जल्द गिरफ़्तार किया जाए और न्याय के कटघरे में लाया जाए। आधिकारिक मूल्यांकन की प्रतीक्षा करते हुए यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अभी तक किसी की जवाबदेही तय नहीं की गई है। सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि ऐसी चूक कैसे हुई और साफ़ चेतावनियों के बावजूद आवश्यक सुरक्षात्मक उपाय क्यों नहीं किए गए। राष्ट्रीय सुरक्षा केवल टेलीविज़न पर जनसंपर्क अभियानों से नहीं चलाई जा सकती — इसके लिए पेशेवर सख्ती, सतर्कता और संस्थागत जवाबदेही आवश्यक है।

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उतना ही आश्चर्यजनक है पाकिस्तान के विरुद्ध भारत की जवाबी कार्रवाई का अचानक समाप्त हो जाना, जिससे अनेक अनुत्तरित प्रश्न सामने आए हैं। इस कार्रवाई का अचानक रुक जाना — बिना किसी स्पष्टता या संवाद के — पूरे देश में अटकलों और चिंता का कारण बना है। इससे भी अधिक चिंताजनक है अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का वह बयान, जिसमें उन्होंने सबसे पहले दावा किया कि भारत पर व्यापारिक दबाव डालकर युद्धविराम करवाया गया। भारत सरकार की इस पर चुप्पी न सिर्फ़ अचंभित करती है, बल्कि अस्वीकार्य है। अब तक सभी भारतीय सरकारों ने, चाहे वे किसी भी दल की रही हों, यह स्पष्ट किया है कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है — भारत और पाकिस्तान के बीच। राष्ट्रपति ट्रंप का यह दावा, जिसे मोदी सरकार ने खुलकर चुनौती नहीं दी, इस द्विपक्षीय मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण करता है। यह भारत की राष्ट्रीय स्थिति और प्रतिष्ठा के लिए एक खतरनाक और अभूतपूर्व गिरावट है, जो भारत को पाकिस्तान के साथ अनावश्यक रूप से जोड़ता है।
कांग्रेस कार्य समिति भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ मंत्री द्वारा एक वरिष्ठ महिला सेना अधिकारी के प्रति की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों की कड़े शब्दों में निंदा करती है। ऐसा व्यवहार न केवल निंदनीय है, बल्कि यह हमारी सशस्त्र सेनाओं की गरिमा और सैन्य क्षेत्र में लैंगिक सम्मान की मूल भावना को ठेस पहुंचाता है। कांग्रेस कार्य समिति उनकी तत्काल बर्खास्तगी की मांग करती है और सरकार से अनुरोध करती है कि उनके खिलाफ कानूनों के तहत कड़ी कार्रवाई की जाए। इन गंभीर चिंताओं के मद्देनज़र, कांग्रेस कार्य समिति कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा पहले ही उठाई गई मांगों को दोहराती है

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में तत्काल सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए और संसद का विशेष सत्र आहूत किया जाए। इस राष्ट्रीय संकट के समय सरकार को विपक्ष और भारत की जनता को विश्वास में लेना चाहिए। पारदर्शिता, एकता और लोकतांत्रिक संवाद कोई कमजोरी नहीं हैं — ये मजबूत और प्रभावी शासन की बुनियाद हैं। देश को जवाब चाहिए, बहाने नहीं। 22 अप्रैल से हम लगातार एकता और सामूहिकता की बात कर रहे हैं। फिर भी, इस महीने की 25 तारीख को प्रधानमंत्री ने केवल एनडीए शासित मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई। यह इस पूरे अभियान का राजनीतिकरण करने का स्पष्ट प्रयास है। उन्होंने अब तक एक भी सर्वदलीय बैठक में भाग क्यों नहीं लिया? इस समय उन्हें दलगत सीमाओं से परे सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलानी चाहिए थी।

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