देशभर में आज भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का पर्व भाई दूज(Bhai Dooj)पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनाया जा रहा है। दिवाली के दो दिन बाद मनाए जाने वाले इस पर्व पर, बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु, सुख-समृद्धि और मंगल की कामना कर रही हैं। घरों में बड़े ही हर्ष का माहौल है, इस पावन त्योहार को मनाने के लिए कहीं शादीशुदा महिलाएं अपने मायके जा रही हैं, तो कहीं भाई अपनी बहनों के ससुराल जा रहे हैं। सड़कों पर आज ऐसा नजारा देखने को मिल रहा है। Bhai Dooj
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भाई दूज पर बहनें अपने भाइयों को रोली, चावल और मिठाई से तिलक लगाती हैं, और उनकी आरती उतारती हैं। इसके बाद भाई अपनी बहनों को उपहार देकर और उनकी सुरक्षा का वचन देकर अपना स्नेह जताते हैं। इस वर्ष भाई दूज पर तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:13 से 3:28 बजे तक है, जिसमें बहनों को त्योहार मनाने के लिए लगभग 2 घंटे 15 मिनट का शुभ समय मिला है। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत करने का एक खूबसूरत अवसर प्रदान करता है, जिसे आज पूरे देश में बड़े ही उल्लास और प्रेम के साथ मनाया जा रहा है। Bhai Dooj
भाई दूज मनाने के पीछे ये है पौराणिक मान्यता
दिवाली के बाद भाई दूज का पर्व मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसमें यमराज और उनकी बहन यमुना का जिक्र आता है। इस कथा के अनुसार, सूर्यदेव और उनकी पत्नी छाया की दो संतानें थीं, एक यमराज और दूसरी यमुना। यमराज अपनी बहन यमुना से बहुत प्यार करते थे, लेकिन अपनी जिम्मेदारियों में व्यस्त होने के कारण उनसे मिल नहीं पाते थे। यमुना अपने भाई को अक्सर अपने घर आने का न्योता देती थीं। Bhai Dooj
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अपनी बहन के निमंत्रण को स्वीकार करते हुए फिर एक दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यमराज अपनी बहन के घर गए। यमुना ने उनका भव्य स्वागत किया, उन्हें तिलक लगाया और उन्हें स्वादिष्ट भोजन कराया। यमराज अपनी बहन के प्रेम और आदर-सत्कार से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने यमुना से वरदान मांगने को कहा। यमुना ने वरदान में मांगा कि हर साल इसी दिन यमराज उनके घर आएं और जो भाई अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाएगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। यमराज ने ‘तथास्तु’ कहा और तभी से भाई दूज मनाने की यह पावन परंपरा शुरू हो गई। Bhai Dooj