(प्रदीप कुमार )- लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज सेवा भारती, नई दिल्ली में ‘सेवा सम्मान 2023’ कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने ‘सेवा सम्मान 2023’ से सम्मानित सभी विभूतियों को बधाई दी जिन्होंने जनता के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए नि:स्वार्थ भाव से अपने समय, ऊर्जा और संसाधनों को समर्पित किया है।
इस अवसर पर बोलते हुए ओम बिरला ने सेवा भारती की नि:स्वार्थ सेवा और सामाजिक उत्थान के प्रति अटूट प्रतिबद्धता की भावना की सराहना की। समाज के प्रति सेवा भारती का समर्पण और प्रतिबद्धता की बारे में उल्लेख करते हुए बिरला ने कहा कि ‘सेवा, संस्कार, समरसता और समृद्धि’ और ‘नर सेवा ही नारायण सेवा इस मूल मंत्र के साथ ये संगठन समाज के समावेशी विकास के लिए काम करता रहा है और सामूहिक प्रयासों से देश में शांति, समृद्धि और विकास किस प्रकार लाया जाए,
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इसके लिए काम करता रहा है। सेवा भारती के कार्यों ने अनगिनत लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाला है, श्री बिरला ने कहा। उन्होंने आगे कहा कि सेवा भारती ने सेवा, करुणा, सहानुभूति और समावेशिता के हमारे प्राचीन संस्कारों को, सिद्धांतों को अपने काम में आत्मसात कर लिया है
लोगों, विशेषकर समाज के वंचित वर्गों के लोगों के उत्थान में सेवा भारती के योगदान पर प्रकाश डालते हुए,ओम बिरला ने कहा कि कमजोर वर्गों के लिए छात्रावास की व्यवस्था हो, लोगों के लिए चिकित्सा की सुविधा हो, वोकैशनल ट्रेनिंग हो, उन्होंने जनता की जरूरतों को नजदीक से समझा है और उनको पूरा करने के लिए निष्ठा से प्रयास किए हैं।बिरला ने कहा कि जनता से जुड़े रहना और जरूरतों को समझते हुए उनको पूरा करने के लिए काम करना सेवा भारती की सबसे बड़ी ताकत है।
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मानव जीवन और समाज में नैतिकता और मूल्यों के महत्व पर जोर देते हुए ओम बिरला ने कहा कि मानव कल्याण के लिए समर्पण और सेवा का भाव हमारी पुरातन संस्कृति का एक अहम हिस्सा रहा है और इसी संस्कार को हमे आगे बढ़ाना है। हम जीवन में जो भी अर्जित कर रहे हैं, वह केवल नौकरी के उद्देश्य तक सीमित नहीं होनी चाहिए बल्कि यह लोगों में सामाजिक जिम्मेदारी, राष्ट्र और मानवता की सेवा की आदत विकसित करने वाली होनी चाहिए। ओम बिरला ने समाज के हाशिए पर मौजूद वर्गों को मुख्यधारा में लाने में स्वास्थ्य और शिक्षा की भूमिका पर जोर दिया।
अतीत के गौरव को रेखांकित करते हुए बिरला ने आगे कहा कि हमें न केवल अतीत की उपलब्धियों पर गर्व होना चाहिए, अपितु इस सेवा यात्रा को जारी रखने के लिए एक-दूसरे को प्रेरित भी करना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि एक समतामूलक एवं समावेशी समाज की स्थापना हम सभी का लक्ष्य होना चाहिए और हमारा हमारा आदर्श एक ऐसी समाज की स्थापना हो जहां समाज का आखिरी व्यक्ति भी सम्मान एवं गरिमा से अपना जीवन चला सके।