अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का 83वां सम्मेलन सम्पन्न हुआ

प्रदीप कुमार – जयपुर में अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का 83वां सम्मेलन, जिसका उद्घाटन 11 जनवरी, 2023 को हुआ था, आज संपन्न हुआ। राजस्थान के राज्यपाल, कलराज मिश्र, लोक सभा अध्यक्ष, ओम बिरला, राजस्थान के मुख्यमंत्री, अशोक गहलोत;, राज्य सभा के उपसभापति, हरिवंश और राजस्थान विधान सभा के अध्यक्ष, डॉ. सी.पी. जोशी ने समापन सत्र की शोभा बढ़ाई और विशिष्टजनों को संबोधित किया।

राजस्थान के राज्यपाल, कलराज मिश्र ने अपने समापन भाषण में सम्मेलन के दौरान हुए संवाद और चर्चा का उल्लेख करते हुए कहा कि विधायी संस्थाओं को इस चर्चा के परिणामस्वरूप निकले निष्कर्षों को अपने कार्यव्यवहार में लागू करना चाहिए।

लोक सभा अध्यक्ष, ओम बिरला ने अपने समापन भाषण में कहा कि अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन ने विधायी निकायों में ठोस लोकतांत्रिक परंपराओं और संसदीय पद्धतियों तथा प्रक्रियाओं को सुस्थापित करने और विभिन्न विधान मंडलों में परस्पर बेस्ट प्रैक्टिसेज साझा करने में सदैव महत्वपूर्ण भूमिका निभायी हैं। ओम बिरला ने इस बात की जानकारी दी कि 83वें सम्मेलन में लोकतंत्र को अधिक जवाबदेह, भागीदारीपूर्ण और सार्थक बनाने के लिए नौ संकल्प पारित किए गए । ओम बिरला ने यह भी कहा कि आजादी के अमृत काल में जहां देश में व्यापक परिवर्तन आ रहे हैं, वहीं विधान मंडलों की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो गयी है। विधायी निकायों में सार्थक, अनुशासित और लाभप्रद चर्चा पर जोर देते हुए ओम बिरला ने कहा कि सदनों में अधिकतम संवाद हो, टेक्नॉलोजी का सही उपयोग हो और जनता और विधानमंडलों के बीच अधिक जुड़ाव हो। जनता के बीच यह संदेश जाए कि जनता की बढ़ती आशाएं और आकांक्षांओं को विधानमंडलों के माध्यम से पूरी किया जा सकता हैं।

 

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ओम बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि विधानमंडलों में चर्चा के दौरान, विशेष रूप से प्रश्न काल के दौरान सदन की कार्यवाही निर्बाध रूप से चले। उन्होंने सदन में मर्यादा और शालीनता बनाए रखने और सदन की बैठकों की संख्या में वृद्धि पर जोर दिया।ओम बिरला ने पीठासीन अधिकारियों को सुझाव दिया कि जो जन प्रतिनिधि अच्छी डिबेट, चर्चा में भाग लेते हैं उन्हें प्रोत्साहित किया जाए और जो सदस्य सभा की कार्यवाही में लगातार बाधा डालते हैं, अमर्यादित आचरण करते हैं, उनके खिलाफ कार्यवाही करने की कार्य योजना बनाई जाए ताकि भविष्य में सदन की गरिमा कम न हो।ओम बिरला ने यह भी कहा कि भारत के लोकतंत्र से सभी देशों को प्रेरणा मिलती है, इसलिए पीठासीन अधिकारी और जनप्रतिनिधि विधायी निकायों को आदर्श संस्थाएं बनाने में अपना योगदान दें।ओम बिरला ने इस बात का उल्लेख भी किया कि वाद-विवाद और विचार-विमर्श से सुदृढ़ कानून बनते हैं और पूर्व नियोजित संगठित व्यवधान लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विधानमंडलों में नियमों और प्रक्रियाओं की एकरूपता की आवश्यकता को भी दोहराया।ओम बिरला ने कहा कि वित्तीय स्वायत्तता के बावजूद, नियमों और प्रक्रियाओं की एकरूपता से संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने में मदद मिलेगी ।

ओम बिरला ने संसदीय समितियों को और मजबूत करने की आवश्यकता का उल्लेख करते हुए कहा कि संसदीय समितियों में दलगत भावना से ऊपर उठकर कार्य करने की उत्कृष्ट परंपरा है। वे लघु संसद के रूप में कार्य करती हैं। इन संसदीय समितियों को और मजबूत करने की आवश्यकता है ताकि ये समितियां अपने सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों की रचनात्मक समीक्षा करें और कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करें। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सम्मेलन में इस विषय पर पारित संकल्प से समिति प्रणाली को और सशक्त बनाने में मदद मिलेगी । भारत की जी20 की अध्यक्षता का उल्लेख करते हुए,ओम बिरला ने कहा कि यह दुनिया को भारत के लोकतंत्र के बारे में बताने का अवसर है। G20 तथा इन देशों की संसदों के अध्यक्षों का P20 सम्मेलन हमारे लिए मात्र एक राजनयिक आयोजन नहीं होगा बल्कि इसमें जन- जन की भागीदारी होगी। उन्होंने शांति और विकास के लिए सामूहिक वैश्विक प्रयास किए जाने का आह्वान किया।

लोक सभा अध्यक्ष ने सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए राजस्थान के राज्यपाल और मुख्य मंत्री और राजस्थान विधान सभा के अध्यक्ष का आभार व्यक्त किया । इस अवसर पर राजस्थान के मुख्य मंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान लिए गए संकल्पों और निर्णयों के दूरगामी प्रभाव होंगे। मुख्य मंत्री ने राज्य विधान सभाओं को वित्तीय स्वायत्तता देने के विचार की सराहना की।

इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए राज्य सभा के उपसभापति, हरिवंश ने कहा कि भारतीय संसद विधायी कार्य उत्पादकता में वृद्धि के लिए संस्थागत सुधार करने के प्रयासों में हमेशा सदैव अग्रणी रही है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से विधायी कार्यों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने और सदन में उत्पादक और सार्थक चर्चा करने का आग्रह किया। हरिवंश ने कहा कि विधायकों के क्षमता निर्माण से सदन में उपयोगी चर्चा होगी ।

राजस्थान विधान सभा के अध्यक्ष, डॉ. सी.पी. जोशी ने भारत के उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति और लोक सभा अध्यक्ष के मार्गदर्शन के लिए उनका आभार व्यक्त किया। इस बात पर जोर देते हुए कि वित्तीय स्वायत्तता के बिना, विधायिकाएं कुशलता से कार्य नहीं कर सकतीं, डॉ. जोशी ने सुझाव दिया कि विधायिकाओं को वित्तीय स्वायत्तता देने के लिए उपाय किए जाने की आवश्यकता है ताकि यह कार्यकारी जवाबदेही सुनिश्चित करने की अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सके। राजस्थान विधान सभा की गौरवशाली परंपरा का उल्लेख करते हुए डॉ. जोशी ने आशा व्यक्त की कि जनप्रतिनिधि अपने आचरण से न केवल इस स्तर को बनाए रखेंगे बल्कि इसे और बढ़ाएंगे.

लोक सभा अध्यक्ष सहित बीस अध्यक्ष; पांच सभापति; राज्य सभा के उपसभापति के साथ ही बारह उपाध्यक्षों और चार उपसभापतियों ने सम्मेलन में भाग लिया।

राजस्थान विधान सभा में विपक्ष के नेता, गुलाब चंद कटारिया ने धन्यवाद ज्ञापित दिया।

दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान, निम्नलिखित विषयों पर चर्चा की गई:

i. जी-20 में लोकतंत्र की जननी भारत का नेतृत्व;
ii. संसद और विधानमंडलों को अधिक प्रभावी, जवाबदेह और उपयोगी बनाने की आवश्यकता;
iii. डिजिटल संसद के साथ राज्य विधानमंडलों को जोड़ना ; और
iv. संविधान के आदर्शों के अनुरूप विधायिका और न्यायपालिका के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने की आवश्यकता

सम्मेलन में निम्नलिखित प्रस्तावों को पारित किया गया:

संकल्प 1. भारत की G20 अध्यक्षता:

अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन की 83वीं बैठक भारत सरकार और भारत की संसद को G-20 राष्ट्रों के समूह और संसद-20 (Parliament-20) की अध्यक्षता ग्रहण करने पर अभिनंदन करती है, और भारत को ‘लोकतंत्र की जननी’ के रूप में प्रस्तुत करने और समता, समावेशिता, बंधुत्व, शांति और संवहनीय जीवन शैली के लिए वैश्विक नेतृत्व को पूर्ण समर्थन देने का संकल्प करती है।

संकल्प 2: शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत में आस्था

83वां अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन राष्ट्र के विधायी निकायों के माध्यम से कानून बनाने में भारत की जनता की प्रधानता में अपना पूर्ण विश्वास व्यक्त करता है और शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत में अपनी आस्था व्यक्त करते हुए राज्य के सभी अंगों को हमारे संविधान में निर्दिष्ट संवैधानिक सीमाओं का सम्मान करने का आह्वान करता है।

संकल्प 3: आदर्श समरूप नियम प्रक्रियाएं

नव स्वतंत्र राष्ट्र के समक्ष ज्वलंत विषयों के समाधान के संदर्भ में संविधान सभा के सदस्यों के अनुकरणीय आचरण को ध्यान में रखते हुए तथा सहयोग, सामंजस्य एवं विभिन्न विचारधाराओं के समन्वय की भावना के अनुरूप अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के 83वें सम्मेलन की बैठक यह संकल्प करती है कि विधायी निकायों के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमों की व्यापक रूप से समीक्षा की जाएगी और सदस्यों की अधिक भागीदारी तथा विधानमंडलों की सभाओं के सार्थक कार्यकरण को सुनिश्चित करने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल करते हुए आदर्श समरूप नियम प्रक्रियाएं बनाई जाएं; और यह कि अमर्यादित तथा असंसदीय आचरण पर प्रभावी नियंत्रण हेतु नियम प्रक्रियाओं में सदस्यों के लिए आचार संहिता को शामिल किया जाए।

संकल्प 4: विधानमंडलों की सभाओं में व्यवधान

हमारे विधायी निकायों में कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सदस्यों द्वारा सरकार से प्रश्न पूछे जाने के समयसिद्ध साधन के महत्व को स्वीकार करते हुए अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के 83वें सम्मेलन की बैठक सभी राजनैतिक दलों का आह्वान करती है कि वे आम सहमति से यह निर्णय लें कि विधानमंडलों की सभाओं में, विशेष रुप से प्रश्न काल के दौरान व्यवधान उत्पन्न न किया जाए ।

संकल्प 5: समितियों की भूमिका और कार्यपालिका के कार्य की समीक्षा

हमारे विधानमण्डल के संचालकों के रूप में समितियों की भूमिका को पहचानते हुए, अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन की 83वीं बैठक समिति प्रणाली को सशक्त करने और कार्यपालिका के कार्य की समीक्षा की सीमा और दायरे को बढ़ाने के लिए भारत में सभी विधायी निकायों से सार्थक कदम उठाने का आह्वान करती है।

संकल्प 6: राज्य विधानमंडलों के कार्य प्रबंधन मंध वित्तीय स्वायत्तता

संघ और राज्य विधानमंडलों के कार्य प्रबंधन में वित्तीय स्वायत्तता प्राप्त करने के लिए अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों की 83वीं बैठक में सत्यीनिष्ठाा से संकल्प लिया गया कि माननीय अध्यक्ष लोक सभा को संबंधित राज्य सरकारों से विस्तृत विचार-विमर्श हेतु अधिकृत किया जाता है।

संकल्प 7: राष्ट्रीय डिजिटल ग्रिड

अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन की 83वीं बैठक में संकल्प लिया गया कि भारत में सभी विधायी निकाय अधिक दक्षता, पारदर्शिता और परस्पपर संपर्क की दृष्टि से विधायी निकायों के लिए राष्ट्रीय डिजिटल ग्रिड में भाग लेने हेतु सभी कदम उठाएंगे।

संकल्प 8: उत्कृष्ट विधायिका पुरस्कार

सदस्यों की प्रभावी और गुणवत्तापूर्ण भागीदारी को बढ़ावा देने और विधायिका के कार्यकरण की कार्योत्पादकता बढ़ाने के लिए किए गए प्रयासों को मान्यता देने के उद्देश्य से अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के 83वें सम्मेलन की बैठक अपने इस संकल्प को दोहराती है कि एक निष्पक्ष प्रणाली के माध्यम से चुने गए विधायी निकायों हेतु वार्षिक आधार पर एक उत्कृष्ट विधायिका पुरस्कार की शुरुआत की जाये।

संकल्प 9: समाज के सभी वर्गों को संवैधानिक प्रावधानों तथा विधायी नियमों और प्रक्रियाओं की शिक्षा

अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन की 83वीं बैठक यह संकल्प करती है कि समाज के सभी वर्गों, विशेषकर महिलाओं और युवाओं को संवैधानिक प्रावधानों तथा विधायी नियमों और प्रक्रियाओं की जानकारी देने के सभी संभव प्रयास किए जाएं।

 

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