नई दिल्ली: जी-7 शिखर सम्मेलन के समापन के बाद इस सप्ताह के अंत में यूरोप में वर्ल्ड नाटो शिखर सम्मेलन में नाटो के 30 देश रूस के खिलाफ यूक्रेन की लड़ाई में पश्चिमी देशों की एकजुटता और फिनलैंड तथा स्वीडन की नाटो सदस्यता को लेकर तुर्की के विरोध पर ध्यान केंद्रित करेंगे। सात प्रमुख आर्थिक शक्तियों का समूह – अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान रविवार से मंगलवार तक जर्मनी में बवेरियन आल्प्स में अपनी वार्षिक सभा आयोजित करने के लिए तैयार है। जर्मनी इस साल जी-7 की अध्यक्षता कर रहा है।
जी-7 शिखर सम्मेलन के समापन के बाद, नाटो गठबंधन में 30 देशों के नेता अपने वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए एकत्रित होंगे, जो बुधवार से गुरुवार तक मैड्रिड में आयोजित होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति जो.बाइडन दोनों सम्मेलनों में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं और इनमें उठने वाले प्रमुख मुद्दों में रूस के खिलाफ यूक्रेन की लड़ाई में पश्चिमी देशों की एकजुटता और फिनलैंड तथा स्वीडन की नाटो सदस्यता को लेकर तुर्की के विरोध पर मंथन शामिल है। इसके अलावा ऊर्जा, जलवायु और खाद्य सुरक्षा जैसे मुद्दे भी उठने की संभावना है।
26-27 जून को G-7 के बैठक में हिस्सा लेंगे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी7 शिखर सम्मेलन की बैठक में हिस्सा लेने के लिए 26-27 जून को जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज के निमंत्रण पर शोल्स एल्माउ जाएंगे । जी7 शिखर सम्मेलन का आयोजन जर्मनी की अध्यक्षता में हो रहा है जिसमें अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, सेनेगल, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों को भी आमंत्रित किया गया है। बयान में कहा गया है कि जर्मनी की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी दो सत्रों को संबोधित कर सकते हैं जिसमें पर्यावरण, ऊर्जा, जलवायु, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, लैंगिक समानता और लोकतंत्र जैसे विषय शामिल हैं । इस शिखर बैठक से इतर प्रधानमंत्री सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले कुछ देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे।
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जेलेंस्की पर मेहरबान है अमेरिका और यूरोपीय देश
जेलेंस्की पर अमेरिका और यूरोप मेहरबान है। यूक्रेन को सैन्य और अन्य आर्थिक मदद के लिए इन देशों ने कोई कमी नहीं छोड़ी है। हाल ही में रूस के धमकियों को दरकिनार करके ब्रिटेन ने भी सैन्य मदद यूक्रेन को की है।
क्या है G-7 शिखर सम्मेलन
G-7 सात देशों का समूह है जिसमें कनाडा, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। इस समूह में हिस्सा लेने वाले देश दुनिया के सबसे उन्नत अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसका गठन 1975 में किया गया था। यह बैठक वैश्विक आर्थिक शासन, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा नीति जैसे सामान्य हित के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए हर साल आयोजित की जाती है। बता दें कि भारत G-7 का हिस्सा नहीं है लेकिन G-20 का हिस्सा है।
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