Ambedkar Jayanti: राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती के अवसर पर संसद भवन परिसर में उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति, जगदीप धनखड़; प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी डॉ. अंबेडकर को पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर कई केंद्रीय मंत्रियों, संसद सदस्यों, पूर्व संसद सदस्यों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।
Read Also: Madhya Pradesh: आकाशीय बिजली गिरने से पावर हाउस में लगी भीषण आग, 1 की मौत 2 घायल
बाद में, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला; राज्यसभा के उपसभापति श्री हरिवंश, संसद सदस्यों और पूर्व संसद सदस्यों ने संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में डॉ. अंबेडकर के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। लोकसभा और राज्यसभा के महासचिवों उत्पल कुमार सिंह और पी सी मोदी ने भी संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में डॉ. अंबेडकर को पुष्पांजलि अर्पित की।
डॉ. अंबेडकर ने भारत के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य पर एक गहरा प्रभाव डाला। सामाजिक न्याय के चैंपियन के रूप में प्रसिद्ध डॉ. अंबेडकर को भारतीय समाज में उनके महत्वपूर्ण और विविध योगदान के लिए जाना जाता है। उनकी सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि भारतीय संविधान की ड्राफ्टिंग समिति के अध्यक्ष के रूप में उनकी भूमिका है, जहां उन्होंने संविधान सभा में बहस के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें भारत के संविधान के पीछे प्रेरक शक्ति के रूप में सम्मानित किया जाता है, जिसने समावेशिता और न्याय के सिद्धांतों को सुनिश्चित किया । 12 अप्रैल, 1990 को तत्कालीन प्रधान मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह द्वारा संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में डॉ. अंबेडकर के चित्र का अनावरण किया गया था।
Read Also: Data Analysis: डाटा विश्लेषकों की बढ़ी मांग, इतनी सैलरी से होती है नौकरी की शुरुआत?
डॉ. अंबेडकर की जयंती पर ओम बिरला ने एक ट्वीट संदेश में कहा, भारतीय संविधान के शिल्पकार, महान राष्ट्र निर्माता बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की जयंती पर कोटि-कोटि नमन। बाबा साहेब का जीवन सामाजिक न्याय के लिए अद्वितीय संघर्ष का पर्याय है। वे समाज के शोषित–वंचित वर्ग की मुखर आवाज थे तथा उनके अधिकारों की रक्षा के लिए वे सदैव समर्पित रहे। संविधान के रूप में उन्होंने एक ऐसा प्रेरक मार्गदर्शक प्रदान किया जो सभी लोकतांत्रिक देशों के लिए आदर्श है। उनके कार्य आज भी हमारा पथ प्रदर्शित करते हैं। हमारा दायित्व है कि उनके बताए मार्ग पर चलते हुए समावेशी समाज की रचना और विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि में अपनी भूमिका निभाएं।