(प्रदीप कुमार )- केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आज आपदा प्रबंधन पर दिल्ली के विज्ञान भवन में राज्य के साथ बैठक की।गृहमंत्री ने आपदा प्रबंधन पर प्रदेशों के साथ हुई बैठक में 8000 करोड़ रुपये की 3 योजनाएं घोषित की है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने, फायर ब्रिगेड सेवा को मजबूत करने और भूस्खलन शमन के लिए केंद्र सरकार राज्यों को आठ हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि प्रदान करेगी।इसी के साथ केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि राज्यों में अग्निशमन सेवा के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए 5,000 करोड़ रुपये की परियोजना, शहरी बाढ़ के खतरे को कम करने के लिए सर्वाधिक जनसंख्या वाले सात महानगरों-मुंबई, चेन्नई, कोलकाता बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद और पुणे के लिए 2,500 करोड़ रुपये की परियोजना, भू-स्खलन शमन के लिए 17 राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में 825 करोड़ रुपये की राष्ट्रीय भू-स्खलन जोखिम शमन योजना तैयार की गई है।
गृहमंत्री ने कहा कि आपदा प्रबंधन पर समान कानून बनाने के लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय सभी राज्यों को पत्र भी लिखेगा। दिल्ली के विज्ञान भवन में बैठक के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आपदाओं ने अपना स्वरूप बदला है। इसलिए हमें अपनी तैयारियों को पुख्ता रखना है।गृहमंत्री ने कहा कि यह बैठक आपदा प्रबंधन को राहत केंद्रित, पूर्व चेतावनी केंद्रित, सक्रिय और प्रारंभिक तैयारी-आधारित बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समग्र दृष्टिकोण का हिस्सा है।गृह मंत्री ने ये भी कहा कि पहले देश में आपदा प्रबंधन को लेकर सिर्फ राहत-केंद्रित दृष्टिकोण था, जिसमें जान-माल के नुकसान को कम करना शामिल नहीं था, लेकिन पीएम मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद यह दृष्टिकोण बदल गया।
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गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि पिछले नौ साल में हमने सामूहिक रूप से आपदा पूर्व तैयारियों को जमीन पर उतारा है। इसके लिए SDRF के बजट में तीन गुना और NDRF के बजट में तीन हजार करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की है। केंद्रीय गृह मंत्री ने जानकारी दी कि India Disaster Resource Network की नई सूची भी बनाई गई है। गृहमंत्री अमित शाह ने आगे कहा कि अब मौसम का पूर्वानुमान बिजली गिरने की चेतावनी और कई चेतावनियां हमें समय रहते मिलती है। इससे जान-माल और पशुधन का समय रहते बचाव किया जा सकता है,वहीं आण्विक ऊर्जा घरों से जुड़ी आपदा के लिए प्रोटोकॉल्स राज्यों को भेजे गए हैं। उन्होंने राज्यों से अनुरोध करते हुए कहा है कि इसकी तैयारी प्राथमिकता के आधार पर करें।
गृहमंत्री ने यह भी बताया कि मॉडल फायर विधेयक केवल सात राज्यों ने ही अपनाया है। ऐसे में उन्होंने सभी राज्यों से अनुरोध किया है कि वे जल्द से जल्द इसे अपनाएं। गृहमंत्री ने यह जानकारी भी साझा की है कि जिला प्रबंधन आपदा योजनाओं को भी आगे बढ़ाया गया है, लेकिन 8 राज्यों के 67 जिलों में ये काम बाकी है। उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में ये काम बाकी है, उसे शीघ्र पूरा करें। वहीं शीतलहर और पाला के लिए कार्ययोजना 16 राज्यों में लंबित है।