Arctic: 2030 तक होगी पूरी दुनिया में भीषण गर्मी, चारों ओर चलेंगी हीटवेव हवाएं, अगर नहीं किया ये उपाय…

Arctic: There will be severe heat all over the world by 2030, heatwave winds will blow all around, if these measures are not taken, vaigyaniko ne kiya Arctic par research , Scientists did research on the Arctic, Arctic ice is continuously melting, lagatar pighal raha hai arctic ka barf in hindi news

Arctic: आज के युग में प्रदूषण के कारण सांस लेने में परेशानी के साथ ही अनेकों प्रकार की बिमारियां हो रही हैं। इससे न केवल वर्तमान में बल्कि भविष्य में भी काफी दिक्कत होने वाली है। हाल ही में एक शोध में ये पाया गया है कि प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के चलते भविष्य में काफी परेशानियां होने वाली है। ये परेशानी इतनी बड़ी होने वाली है कि वैज्ञानिकों को चिंता का माहौल बना हुआ है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर वो कौन सी परेशानी है जिसने अभी से चिंता पैदा कर दी है।

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 पृथ्वी पर तापमान बढ़ने का कारण और इसका प्रभाव?

दरअसल, पेड़-पौधों की कटाई, परिवहन, खेती, हीटिंग और अनेक प्रकार के मानव गतिविधियों से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन तेजी से बढ़ाता जा रहा है। जिससे पृथ्वी का तापमान भी लगतार बढ़ता जा रहा है। इसका नतिजा ये सामने आ रहा है कि दक्षिणी और उत्तरी ध्रुव पर जमे बर्फ पिघलने लगे हैं। इसके साथ ही मौसम का जो चक्र होता है वो भी प्रभावित होता जा रहा है। निष्कर्ष ये निकल रहा है कि इससे न केवल लोग बिमार हो रहे हैं बल्कि कई देशों में तो भीषण गर्मी, कुछ जगहों पर बाढ़ तो जंगलों में आग लग रही हैं।

लगातार पिघल रही है आर्कटिक की बर्फ 

अब इसकी वजह एक और है जिसकी वजह से वैज्ञानिक परेशान हैं, वो है आर्कटिक जो जमीन से घिरा हुआ गोलार्ध के उच्चतम अक्षांश पर स्थित बर्फ का एक समुद्र है। इसे लेकर कुछ दिनों पहले एक शोध किया गया था, जिसमें वैज्ञानिकों ने ये दावा किया था कि लगभग 10 सालों में यह जगह बर्फ मुक्त हो जाएगा। वैसे तो आर्कटिक की समुद्री बर्फ गर्मियों में स्वाभाविक रूप से कम होती है और फिर सर्दीयों में यह बर्फ की सफेद चादर से ढंक जाती है। लेकिन लगातार बर्फ के पिघलने से और वैज्ञानिकों के इस दावे ने सभी की चिंताए बढ़ा दी हैं क्योंकि ऐसा अगर सच में हो गया तो पुरी धरती गर्म हो जाएगी और चारों ओर ताबाही मच जाएगी।

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वैज्ञानिकों ने किया आर्कटिक पर रिसर्च 

अब बात कर लेते हैं कि आखिर वैज्ञानिकों को ऐसा क्यों लग रहा है और उन्होंने अपने शोध में क्या पाया है। तो बता दें कि कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने आर्कटिक पर रिसर्च किया। इस रिसर्च में पाया गया कि पहले के मुताबिक कुछ सालों से गर्मियों में आर्कटिक के बर्फ तेजी से पिघल रहे हैं और साथ ही सर्दीयों में पहले के मुकाबले अब बर्फ कम जम रही है। ऐसी स्थिति में वैज्ञानिकों ने ये अनुमान लगाया है कि 2030 तक शायद ऐसा हो कि यहां पर केवल 1/4 बर्फ ही मिले। अगर ऐसा हुआ तब महासागर तेजी से गर्म होने लगेंगे। जिससे बर्फ तो पिघलेगी ही साथ ही उस ओर से जो हवाएं आती हैं वो भी हीटवेव के साथ आएंगी।

बचने का उपाय

हालांकि इससे बचने का उपाय भी वैज्ञानिकों ने बताया है कि अगर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर नियंत्रण रखा जाए तो शायद इससे बचा जा सकता है। विशेषकर कार्बन उत्सर्जन को रोकना बेहद जरुरी है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में कम बर्फ की वजह से हीटवेव हवाएं चलेंगी जिससे पुरी दुनिया का वातावरण बदल जाएगा और लोगों में अनेक प्रकार की बिमारी होने लगेंगी।

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