ब्लड प्रेशर कभी होता हाई और कभी होता लो… जानें क्या है इसके पीछे का गणित

Blood Pressure

Blood Pressure: आज के समय में ब्लड प्रेशर से संबंधित समस्याएं आम हो चुकी है। हर तीसरा इंसान इस से जूझ रहा है। यह परेशानी बच्चों से लेकर बड़ों तक हर किसी के बारे में सुनने को मिल जाती है।  किसी व्यक्ति का ब्लड प्रेशर लो होता है तो किसी का हाई। यह परेशानी किसी भी समय हो जाती है। कुछ लोग तो इससे इस हद तक परेशान हो जाते हैं कि उन्हें इस समस्या से बचने के लिए रोज दवाई लेनी पड़ती है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर यह समस्या होती कैसे है?

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ब्लड प्रेशर की शरीर में क्या है भूमिका ?

हमारा शरीर के प्रत्येक अंग के लिए रक्तचाप जरूरी है। इसकी कमी या अधिक होने के कारण हमारे शरीर में कई सारी परेशानियां बढ़ जाती है। यह हमारे दिल, मस्तिष्क या दूसरे हिस्सों को नुकसान पहुंचाता है। हाई ब्लड प्रेशर के कारण इसका सीधा असर हमारे मस्तिष्क पर पड़ता है। कम रक्तचाप के कारण हार्ट अटैक का खतरा भी बना रहता है।

कैसे मापा जाता है रक्तचाप ?

आपने देखा होगा कि रक्तचाप को दो संख्याओं में मापा जाता है जैसे 120/80. जो इस संख्या में 120 है वह सिस्टोलिक दबाव को दर्शाता है,  जो आपके दिल के धड़कने के दौरान ब्लड प्रेशर का लेवल हाई होता है । दूसरी संख्या 80 डायस्टोलिक दबाव के बारे में बताती है कि दिल के धड़कने के बीच के आराम के समय में ब्लड प्रेशर का लेवल कम है।

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क्यों होता है ब्लड हाई और लो ?

रक्त जब हमारे दिल से निकलकर हमारी शरीर की नसों पर दबाव बनाता है तो उसे ब्लड प्रेशर कहा जाता है। कभी ब्लड प्रेशर लो होता है तो कभी हाई हो जाता है। शारीरिक गतिविधियों या हमारी दिनचर्या के कारण ब्लड प्रेशर हाई और लो होता रहता है। अब सवाल यह उठता है कि इसे नियंत्रित कैसे किया जा सकता है ? कैसे कंट्रोल करने के दो तरीके हैं पहला है शार्ट टर्म और दूसरा है लांग टर्म।

शॉर्ट टर्म- इसमें बैरो रिसेप्टर्स और कीमो रिसेप्टर्स मौजूद होते हैं। बैरो रिसेप्टर्स हमारे दिमाग के मेडुला ऑब्लांगेटा में संकेत भेजता है और  इसका मुख्य काम रक्तचाप को कंट्रोल करना होता है और कीमो रिसेप्टर्स हमारे खून में होने वाले केमिकल कंपोजिशन का ख्याल रखते हैं और इसका मुख्य काम रक्त में मौजूद रासायनिक तत्वों के संतुलन को ठीक रखने में मदद करते हैं।

लांग टर्म- इसमें रेनिन-एंजियोटेंसिन-एल्डोस्टेरोन सिस्टम (RAAS) मुख्य तौर से काम करता है। यह सिस्टम हमारे शरीर में ब्लड प्रेशर  को कंट्रोल करने में मदद करता है। इसके साथ ही यह हमारे शरीर में पानी और सोडियम की मात्रा को भी नियंत्रित करने का काम करता है।

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