(अवैस उस्मानी): नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने अपना जवाबी हल्फनामा दाखिल कर दिया। केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने की मांग की। केंद्र सरकार ने कहा कि CAA कानून नागरिकों के मौजूदा अधिकारों को प्रभावित नहीं करता है। केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा कि CAA कानून मूल निवासियों के जातीय भाषाई अधिकारों की रक्षा के लिए किया गया है और यह भेदभावपूर्ण नहीं है। गृह मंत्रालय ने 150 पन्नों के एक विस्तृत हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया है।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा कि किसी भी भारतीय के कानूनी, लोकतांत्रिक या धर्मनिरपेक्ष अधिकारों को प्रभावित नहीं करता है। केंद्र सरकार ने कहा किसी भी देश के नागरिकों द्वारा भारत की नागरिकता प्राप्त करने की मौजूदा व्यवस्था सीएए से अछूती है और वैध दस्तावेजों और वीजा के आधार पर कानूनी प्रवासन सहित दुनिया के सभी देशों से इजाजत है। केंद्र सरकार ने CAA कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं पर सवाल उठाते हुए हलफनामे में कहा कि इमिग्रेशन पॉलिसी, नागरिकता और अप्रवासियों को देश से बाहर करने से संबंधित मामले संसद के अधिकार क्षेत्र में आते हैं और जनहित याचिकाओं के माध्यम से इस पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है।
केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा कि CAA एक केंद्रित कानून है जो केवल छह निर्दिष्ट समुदायों के सदस्यों को नागरिकता प्रदान करता है जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले देश आए थे। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम की धारा 2 (1) (बी) में एक नया प्रावधान जोड़ा गया है। उसी के अनुसार, अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदायों से संबंधित व्यक्ति, और जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 के तहत छूट दी गई है। इनको विदेशी अधिनियम, 1946, के तहत अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा और, ऐसे व्यक्ति 1955 के अधिनियम के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे।
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सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) की वैधता को चुनौती देते हुए इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) और कांग्रेस नेता जयराम रमेश, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) नेता असदुद्दीन ओवैसी सहित अन्य ने याचिका दायर की है।