CAA: पहली बार भारत में कब पारित हुआ CAA, क्या है उद्देश्य ? जानें कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

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CAA: देश में होने वाले लोकसभा चुनाव 2024 के होने में अब कुछ ही समय शेष रह गया है। ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले गृह मंत्रालय की ओर से नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी CAA की अधिसूचना जारी की जा सकती है। गृह मंत्रालय की ओर से नागरिकता संशोधन अधिनियम अधिसूचना जारी होने के साथ ही देश में CAA कानून भी लागू हो जाएगा। इस कानून के लागू होने से क्या बदलाव होंगे और इससे जुड़े क्या तथ्य हैं इस पर नजर डालते हैं।

CAA से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

बता दें कि इससे पहले भी 2019 के दिसंबर महीने में CAA को भारतीय संसद की ओर से पारित (Passed) किया गया था। इस अधिनियम का उद्देश्य ये है कि भारत के तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान (Pakistan), बांग्लादेश (Bangladesh) और अफगानिस्तान (Afghanistan) से 31 दिसंबर 2014 तक किसी भी प्रताड़ना (Torture) से परेशान होकर आए 6 धर्मों के शरणार्थी (Refugees) जिनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी धर्म के लोग शामिल हैं, उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी। सबसे पहले नागरिक संशोधन अधिनियम 1955 में पारित किया गया था और तब से अब तक इसमें 6 बार (1986, 1992, 2003, 2005, 2015, 2019) संशोधन किया जा चुका है।

CAA में पहले और अब में क्या हुआ बदलाव ?

बदलाव कि बात करें तो पहले किसी को भी भारतीय नागरिता लेने के लिए 11 सालों तक भारत (India) में रहना अनिवार्य था लेकिन अब केवल 6 साल भारत (India ) में रहने पर ही उसे भारत का नागरिक माना जाएगा, खास बात ये है कि भारत के पड़ोसी देशों से आए शरणार्थियों (Refugees) को जो 6 साल से भारत (India) में रह रहे हों, उन्हें भारत की नागरिकता प्राप्त करने के लिए कोई जरुरी दस्तावेज (Document) भी नहीं देनी होगी।

क्यों और किसने किया विरोध प्रदर्शन ?

अब बारी आती है की आखिर नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी CAA पारित होने से विरोध प्रदर्शन क्यों हुआ और किसने किया ? तो बता दें कि जब इसे संसद भवन में पारित (Passed) किया गया था तब कुछ मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इसका जमकर विरोध (Oppose) किया था। उन्हें डर था कि शायद इस बिल के पास हो जाने से भारत (India) में रह रहे मुसलमानों की नागरिकता रद्द कर दी जाएगी।

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इस भ्रम (Confusion) को दूर करने के लिए गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने एक बयान जारी कर बताया था कि इस बिल को पास करने का उद्देश्य किसी की भी नागरिकता को रद्द करना नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य देश के पड़ोसी देशों से प्रताड़ना (Torture) सहकर भारत आए मुसलमानों को छोड़कर बाकी धर्मों के शरणार्थियों (Refugees) को भारतीय नागरिकता देना है। हालांकि अमित शाह के द्वारा ये बताने के बाद भी विरोध प्रदर्शन किया गया और तब मुसलमानों के नागरिता को रद्द करने के डर से नहीं बल्कि पड़ोसी देशों से आए लोगों को भारतीय नागरिकता देने को लेकर था।

सरकार ने कर ली CAA लागू करने की तैयारी

विपक्षी पार्टियों का कहना था कि इस अधिनियम में संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन किया जा रहा है जो समानता के अधिकार की बात करता है। तमाम विरोधों से बचाते हुए भारतीय जनता पार्टी (Bjp) ने इसे सुरक्षित रखा और अब वेब पोर्टल के साथ ही इसकी अन्य सारी जरूरी तैयारियों को पूरा कर लिया है। कुछ दिनों पहले ही गृह मंत्री ने ये भी ऐलान किया था कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले CAA लागू कर दिया जाएगा।

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