Cauvery water dispute– तमिलनाडु के जल संसाधन मंत्री दुरईमुरुगन ने बुधवार को कहा कि कावेरी जल बंटवारे विवाद पर केवल सुप्रीम कोर्ट ही फैसला कर सकता है।दुरईमुरुगन ने मंगलवार को सर्वदलीय सांसद प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया और कर्नाटक की तरफ से कावेरी नदी का 12,500 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के मुद्दे पर दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से मुलाकात की।
दुरईमुरुगन ने कहा, “केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से मिलना महज एक औपचारिकता थी। हम भारत के सुप्रीम कोर्ट से न्याय पाने जा रहे हैं। हम सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ केंद्र सरकार से भी अनुरोध कर रहे हैं कि अगर संकट है तो पानी का बंटवारा कैसे किया जाना चाहिए?”
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दुरईमुरुगन, जल संसाधन मंत्री, तमिलनाडु: “केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से मिलना महज एक औपचारिकता थी। हम भारत के सुप्रीम कोर्ट से न्याय पाने जा रहे हैं। हम सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ केंद्र सरकार से भी अनुरोध कर रहे हैं कि अगर संकट है तो पानी का बंटवारा कैसे किया जाना चाहिए? सुप्रीम कोर्ट की तरफ से फैसला लिया जाएगा। वे कहते हैं कि पानी नहीं है और मैं कहता हूं कि पानी है। तो फैसला कौन करेगा? ये जल नियामक बोर्ड को फैसला करना है। अगर वे कहते हैं कि पानी है तो वे हमें 12,500 क्यूसेक पानी दे सकते हैं।”
कर्नाटक में सूखे जैसी स्थिति का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बुधवार को कहा कि राज्य सरकार सीडब्ल्यूएमए (कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण) के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी, जिसमें हर दिन तमिलनाडु के लिए लगभग 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ने का प्रावधान है।