Citizenship Amendment Act– नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA (Citizenship Amendment Act) देशभर में लागू हो चुका है. एक दिन पहले (11 मार्च) ही केंद्र की मोदी सरकार ने इसे लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. संसद के दोनों सदनों में बिल पास होने के बाद भी पिछले 4 साल (2019) से यह कानून लागू नहीं हो पा रहा था. लेकिन सोमवार को इसे लागू कर दिया गया. CAA लागू होने के बाद देशभर से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. बीजेपी और उससे जुड़े संगठन इसे ऐतिहासिक फैसला बता रहे हैं तो वहीं विपक्षी पार्टियों ने इस कानून के खिलाफ बयानबाजी शुरू कर दी है.
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असम स्टूडेंट्स यूनियन ने असम के जोरहाट जिले में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लागू करने के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया.इसी दौरान एएएसयू के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा कि परिषद ने कानून के खिलाफ अपनी कानूनी लड़ाई को आगे बढ़ाते हुए कई विरोध प्रदर्शन कार्यक्रमों की भी घोषणा की.AASU के जिला अध्यक्ष अर्जुन भुयन ने कहा कि एएएसयू असमियों को अल्पसंख्यक बनाने और उनकी विरासत और संस्कृति को खत्म करने के सरकार के लक्ष्य को कभी पूरा नहीं होने देगा।
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उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन से केंद्र सरकार को ये संदेश देना चाहते हैं कि जब तक ये काला कानून वापस नहीं लिया जाता है, तब तक ये जारी रहेगा.पूर्वोत्तर राज्यों में ज्यादातर जनजातीय क्षेत्रों को सोमवार से लागू हुए संशोधित नागरिकता अधिनियम, 2019 के दायरे से बाहर रखा गया है। इनमें संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा रखने वाले क्षेत्र शामिल हैं.सीएए में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने के बाद 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत आए हिंदुओं, जैनियों, ईसाइयों, सिखों, बौद्धों और पारसियों को नागरिकता देने की कोशिश की गई है।