CM DHAMI ने मातृभाषा के प्रयोग पर जोर दिया और 10 साहित्यकारों को सम्मानित किया

Uttarakhand News :  उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बुधवार को देहरादून में हुए ‘उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान-2023’ में शामिल हुए। ‘उत्तराखंड भाषा संस्थान’ की तरफ से आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने 10 लोगों को साहित्य सम्मान दिया।सीएम धामी और भाषा मंत्री सुबोध उनियाल ने 10 साहित्यकारों को एक-एक लाख रुपये का पुरस्कार और स्मृति चिह्न प्रदान किया।इस मौके पर धामी ने लोगों से इनोवेशन की ओर बढ़ने की अपील की और कहा कि अलग-अलग भाषाओं में साहित्य को प्रोत्साहित किया जाएगा।

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मातृभाषा को बढावा दिया जाए- धामी ने भाषाओं के संरक्षण के लिए लोगों से अपनी मातृभाषा में बात करने का भी अनुरोध किया।सीएम ने कहा कि साहित्य के क्षेत्र में अच्छा काम करने वाले लोगों को सम्मानित करने की ये परंपरा जारी रहेगी।जिन 10 साहित्यकारों को सम्मानित किया गया उनमें आधुनिक भारतीय साहित्य के विशेषज्ञ और रचनात्मक लेखक प्रोफेसर लक्ष्मण सिंह बिष्ट बटरोही शामिल हैं। उन्हें सुमित्रानंदन पंत पुरस्कार से सम्मानित किया गया।साहित्यकार और सामाजिक कार्यकर्ता देवकी नंदन भट्ट ‘मयंक’ को जनकवि गुमानी पंत पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

कवि गिरीश सुन्दरियाल को भजन सिंह पुरस्कार से सम्मानित किया गया।डॉ. सुरेश ममगई को गोविंद चातक पुरस्कार दिया गया।प्रेम कुमार साहिल को शिक्षक पूर्ण सिंह पुरस्कार से सम्मानित किया गया।के. एन. खान उर्फ नदीम बरनी को हिंदी कविता के लिए प्रो. उनवान चिश्ती पुरस्कार मिला।हिंदी की कवि शैली को प्रो. महादेवी वर्मा पुरस्कार से सम्मानित किया गया।डॉ. सुशील उपाध्याय को शैलेश मटियानी पुरस्कार मिला।मनोविज्ञान के प्रोफेसर डॉ. ललित मोहन पंत को डॉ. पीतांबर दत्त बड़थ्वाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।गणेश खुगसाल गणी को भैरव दत्त धूलिया पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड: सबको हमको नवाचार की ओर जाना चाहिए और इस दिशा में हमारा भाषा संस्थान बहुत अच्छे तरीके से काम कर रहा है, जिसको आप सबका आशीर्वाद भी मिल रहा है, हम लोग भी लगातार आशांवित हैं कि निकट भविष्य में भी और तेजी से इस क्षेत्र में काम होगा, जहां इससे प्रदेश में हमारी जो स्थानीय भाषाएं हैं, जो प्रचलित हैं और जो अभी प्रचलित नहीं हैं, उसके साथ-साथ छोटे-छोटे क्षेत्रों में बोली जाने वाली बोलियां, उनमें रचे जा रहे जो साहित्य हैं, उन साहित्यों को भी प्रोत्साहन का अवसर मिलेगा।”

यह हमारे पूर्वज की विरासत है- अपने घर से ही जो है इस चीज को शुरू करना होगा, क्योंकि जब हम घर से शुरू करेंगे तो निश्चित रूप से जो बच्चे हमारे कर्णधार हैं, आज वो आगे बढ़ रहे हैं अच्छी बात है। ज्ञान, विज्ञान, पढ़ाई, लिखाई, टेक्नोलॉजी, व्यापार हर क्षेत्र में आगे जा रहे हैं। लेकिन वो कहीं न कहीं ऐसा न हो कि एक जो ये महत्वपूर्ण पहलू है ये उनसे छूट जाए, क्योंकि ये हमारे जो पूर्वज हैं, हमारी विरासत है, उसने हमको दिया है और कोशिश हो कि घरों में अगर हम बच्चों से बात करें तो अपनी भाषा में करें। आम बोलियों का प्रयोग किया जाना चाहिए।”ये सम्मान केवल इसलिए है कि जो काम धरातल पर हो रहा है, उसको आगे बढ़ाया जाए। और भी जो लोग अभी इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं, आगे निकट भविष्य में चूंकि ये एक नई परिपाटी हमने शुरू की है, इसको आगे बढ़ाएंगे।”

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