पाकिस्तान की गोलीबारी से चिंतित सीमा के करीब रहने वालों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास पुल बनाने पर जोर दिया

Jammu News :मेरे पीछे जो आप ये ब्रिज देख रहे हैं, इसकी 2019 में मैंने इसकी डिमांड उठाई थी, ये 70 ईयर्स से ही डिमांड चल रही है क्योंकि ये ब्रिज जो है, ये सेफर जोन बन जाता है इस पूरे इलाके के लिए, क्योंकि आपने देखा होगा कि डिच है, डिच के उस पार का रेंज खत्म हो जाता है, रेंज आता है लेफ्ट राइट दोनों साइट से, तो हमारी 2019 में मैंने के. के. शर्मा, हमारे ऑनरेबल एडवाइजर थे, उनके यहां भी रिक्वेस्ट की थी, उनके यहां एक प्रॉपर डायग्राम बनाकर बताया था कि ये ब्रिज इवैकुएट करने के लिए हम बोल सकते हैं, सबसे ज्यादा सेफर जोन है।पाकिस्तान की ओर से हाल में किए गए संघर्ष विराम उल्लंघन को देखते हुए लगातार डर के साये में जी रहे जम्मू जिले के अग्रिम त्रावा के गांवों के लोगों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास पुल बनाने की अपनी पुरानी मांग पर जोर दिया है।

सीमा के करीबी इलाके में रहने वाले लोग नदी को पार करने के लिए सीमेंट सीवेज पाइपों के अस्थायी स्ट्रक्चर का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि यहां स्थायी पुल बने ताकि सीमा पार से गोलीबारी होने पर वे वहां से सुरक्षित निकल सकें।सांबा जिले के रामगढ़ सेक्टर में आठ-नौ नवंबर की दरम्यानी रात को पाकिस्तानी रेंजर्स की गोलीबारी में बीएसएफ का एक जवान शहीद हो गयाथा।

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25 फरवरी, 2021 को दोनों देशों के बीच नए सिरे से संघर्ष विराम पर सहमति बनने के बाद पहली बार इस तरह से शहादत हुई।इससे पहले 26 अक्टूबर को जम्मू के अरनिया सेक्टर में सीमा पार से हुई गोलीबारी में बीएसएफ के दो जवान और एक महिला घायल हो गए थे। वहीं 17 अक्टूबर को इसी तरह की एक घटना में बीएसएफ का एक और जवान घायल हो गया था। फायरिंग की वजह से सीमा के करीब रहने वालों में दहशत फैल गई थी।सीमा के एक करीबी गांव की सरपंच त्रावा बलबीर कौर का कहना है कि 20 से ज्यादा गांवों को जोड़ने के लिए पुल बनाने की मांग लोग लंबे समय से कर रहे
हैं। उनके मुताबिक उन्होंने 2019 में ये मुद्दा प्रशासन के सामने उठाया था लेकिन उस पर कोई जवाब अब तक नहीं मिला है।

उन्होंने कहा कि पुल की जगह पाकिस्तान की गोलीबारी वाले इलाके से अलग है। उनके मुताबिक गांवों को जोड़ने के लिए पुल बनाना जरूरी है।त्रावा बलबीर कौर के मुताबिक पाकिस्तान की तरफ से की जाने वाली गोलीबारी से बचने के लिए लोग इस पुल का इस्तेमाल कर सुरक्षित जगहों पर पहुंच सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन को उनके ज्ञापन के बाद दो साल कोरोना वायरस महामारी की भेंट चढ़ गए और बाद में लोक निर्माण विभाग ने पुल के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की।सरपंच ने कहा कि 26 अक्टूबर को पाकिस्तान की ओर से भारी गोलीबारी के बाद गांव वालों ने संभागीय आयुक्त रमेश कुमार के नेतृत्व में दौरे पर आए आधिकारिक दल से मुलाकात की और प्राथमिकता के आधार पर पुल को बनाने की मांग उठाई।कौर ने कहा कि उन्होंने सुना है कि ग्रामीण विकास विभाग (आरडीडी) को पुल बनाने का काम सौंपा गया है और आने वाले दिनों में काम शुरू होने की संभावना है।

सीमा के करीब के गांव में रहने वाले आत्मा राम ने कहा कि स्थानीय पंचायत हर बार मानसून के मौसम के बाद अस्थायी पुल की जरूरी मरम्मत करती थी। उनके मुताबिक सीमा पार से हाल में हुई गोलीबारी की घटनाओं के बाद हालात पूरी तरह बदल गए हैं और लोग चाहते हैं कि ये पुल जल्द से जल्द पूरा हो।आत्माराम के सुर में सुर मिलाते हुए गांव में रहने वाले रमेश कुमार ने कहा कि जब पुल बन जाएगा तो ये सीमा के करीबी इलाके में रहने वालों के लिए लाइफलाइन साबित होगा।हाल की गोलीबारी की घटनाओं के दौरान, लोगों ने सुरक्षित जगहों पर जाने के लिए अस्थायी स्ट्रक्चर का इस्तेमाल किया था लेकिन हालांकि दिक्कत ये है कि कोई भी इस अस्थायी स्ट्रक्चर को जल्दी पार नहीं कर सकता है।पुल के शीघ्र बनने की उम्मीद जताते हुए कौर ने कहा कि सीमा के करीब रहने वाले लोगों की समस्याओं पर प्राथमिकता के आधार पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।

(Source PTI )

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