CWC: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 39वें अधिवेशन में महात्मा गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे। उस ऐतिहासिक अधिवेशन की 100वीं वर्षगांठ मनाने के लिए आज CWC की कर्नाटक के बेलगावी में बैठक हुई। जिस तरह देश ने हाल ही में हमारे संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ मनाया है, उसी तरह यह भी उचित है कि हम बापू को श्रद्धांजलि अर्पित करें। महात्मा गांधी का 19 नवंबर 1939 का बयान सात साल बाद संविधान सभा की स्थापना का स्तंभ था यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ठीक एक महीने बाद जब हम अपने गणतंत्र के 75वें वर्ष में प्रवेश करने जा रहे हैं, तब संविधान को अब तक के सबसे गंभीर खतरे का सामना करना पड़ रहा है।
जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि “इसमें कोई संदेह नहीं है कि संविधान के निर्माण की डॉ. अम्बेडकर से अधिक जिम्मेदारी किसी और ने नहीं उठाई।” केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा संसद में किया गया डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर का अपमान संविधान को कमजोर करने के RSS-BJP के दशकों पुराने प्रोजेक्ट का सबसे ताजा उदाहरण है। CWC केंद्रीय गृह मंत्री के इस्तीफे के साथ-साथ देश से माफी मांगने की मांग दोहराती है।
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CWC हमारे लोकतंत्र में लगातार आ रही गिरावट से बेहद चिंतित है। न्यायपालिका, चुनाव आयोग और मीडिया जैसी संस्थाओं का कार्यपालिका के दबाव के माध्यम से राजनीतिकरण किया गया है। संसद की साख को खत्म कर दिया गया है – हाल ही में संपन्न 2024 के शीतकालीन सत्र में सत्ता पक्ष द्वारा जिस तरह कार्यवाही में बाधा डाली गई, उसे पूरे देश ने देखा। संविधान के संघीय ढांचे पर लगातार हमले हो रहे हैं – केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक से इसे विशेष रूप से ख़तरा है।
CWC भारत के चुनाव आयोग की सिफारिश पर चुनाव संचालन नियम 1961 में किए गए केंद्र के संशोधन की निंदा करती है जो चुनावी दस्तावेजों के महत्वपूर्ण हिस्सों तक सार्वजनिक पहुंच को रोकता है। यह पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों को कमजोर करता है जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की आधारशिला हैं। हमने इन संशोधनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। ख़ासकर के हरियाणा और महाराष्ट्र में जिस तरह से चुनाव कराए गए हैं, उसने पहले ही चुनावी प्रक्रिया की सत्यनिष्ठा को खत्म कर दिया है।
CWC राज्य प्रायोजित सांप्रदायिक और जातीय घृणा में वृद्धि से बहुत व्यथित है। 2023 से हिंसा की आग में जल रहे मणिपुर को प्रधानमंत्री और उनकी सरकार की उदासीनता का सामना करना पड़ रहा है। मई 2023 में हिंसा भड़कने के बाद से प्रधानमंत्री ने इस अशांत राज्य का दौरा नहीं किया है। RSS-BJP के राजनीतिक लाभ के लिए संभल और अन्य स्थानों में जानबूझकर सांप्रदायिक तनाव भड़काया गया है। पूजा स्थल अधिनियम,1991, जिसके प्रति भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, भी अनावश्यक बहस के दायरे में आ गया है। CWC ने इस बात की भी कड़ी निंदा की कि असम और उत्तर प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्यों में कांग्रेस पार्टी द्वारा शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के साथ किस तरह से व्यवहार किया गया।
कई कांग्रेस कार्यकर्ताओं की जान चली गई। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है और यह भाजपा की लोकतंत्र विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। CWC यह मांग करती है कि सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना जल्द से जल्द आयोजित की जाए। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और OBC के लिए आरक्षण की 50% सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए ताकि हमारे समाज के इन तीन पारंपरिक रूप से वंचित समूहों को और ज़्यादा लाभ मिल सके। आरक्षण उचित माध्यमों से निर्धारित सामाजिक, आर्थिक, या शैक्षिक पिछड़ेपन के आधार पर होना चाहिए।
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अर्थव्यवस्था भयंकर मंदी से गुजर रही है। आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भी भारी वृद्धि हुई है। मोदी सरकार की आर्थिक नीतियां केवल प्रधानमंत्री के कुछ पसंदीदा व्यापारिक समूहों को समृद्ध करने के लिए बनाई गई हैं। अर्थव्यवस्था में चंद लोगों के एकाधिकार बढ़ रहे हैं। भारत के पूंजी बाजार में बड़े पैमाने पर लोगों की हिस्सेदारी है, लेकिन नियामकों की ईमानदारी पर गंभीर सवाल उठे हैं। निजी निवेश, जो आर्थिक विकास में तेजी बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है, वह अभी भी बेहद सुस्त है। खपत स्थिर है। CWC की मांग है कि सरकार आगामी केंद्रीय बजट का इस्तेमाल गरीबों को आय सहायता और मध्यम वर्ग के लिए कर राहत प्रदान करने के लिए करे। GST एक मूर्खता साबित हुई है और CWC GST 2.0 की अपनी मांग को दोहराती है जो कि सही मायने में एक गुड और सिंपल टैक्स होगा। उद्योग, व्यापार और वाणिज्य पर कर आतंकवाद समाप्त होना चाहिए।
CWC कृषि और ग्रामीण रोजगार की घोर उपेक्षा के लिए केंद्र सरकार की कड़े शब्दों में आलोचना करती है। किसान बढ़ती इनपुट लागत और अपर्याप्त MSP की समस्या से जूझ रहे हैं। किसानों की आय दोगुनी करने जैसे वादे अधूरे हैं। मनरेगा में जानबूझकर कम की जा रही फंडिंग और इसे कमजोर किए जाने से लाखों परिवार अपने जीवन-यापन के लिए संघर्ष करने को मजबूर हैं। CWC उसमें तत्काल सुधार के लिए उपाय करने की मांग करती है, जिनमें MSP के लिए कानूनी गारंटी, व्यापक कृषि इनपुट का 50% MSP तय किया जाना और मनरेगा के लिए पर्याप्त फंड के साथ-साथ इसकी मजदूरी दर को 400 रुपए प्रति दिन तक बढ़ाना शामिल है।
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CWC ने पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पीछे हटने के संबंध में विदेश मंत्री की घोषणा पर सोच-विचार किया है। यह अप्रैल 2020 के पहले की स्थिति बहाल करने के भारत के घोषित लक्ष्य से बेहद कम है और दशकों में लगे देश के सबसे बड़े क्षेत्रीय झटके को दर्शाता है। CWC ने अपनी मांग दोहराई है कि सरकार विपक्ष को विश्वास में ले और LAC की स्थिति के संबंध में संसद में व्यापक चर्चा होने दे। CWC बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमलों में हालिया वृद्धि पर चिंता व्यक्त करती है। हम केंद्र सरकार से उनकी सुरक्षा और बेहतरी सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेश सरकार के साथ काम करने का पुरजोर आग्रह करते हैं।
CWC ने पूरे देश पर भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा के ज़बरदस्त प्रभाव को रेखांकित किया है। भारत जोड़ो यात्रा को लॉन्च करने का विचार मई 2022 में उदयपुर चिंतन शिविर से आया था। इसकी शानदार सफलता की प्रेरणा से ही भारत जोड़ो न्याय यात्रा भी निकाली गई। इन परिवर्तनकारी आंदोलनों के चलते हमने जो गति पकड़ी थी, उसे बनाए रखने के लिए, संगठन के भीतर सभी स्तरों पर महत्वपूर्ण सुधार आवश्यक हैं। यह स्वीकार करते हुए कि संगठनात्मक बदलाव एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है, इसे अब तेज और तीव्र किया जाना चाहिए। CWC अगले 100 दिनों के भीतर होने वाले संगठन सृजन कार्यक्रम को बनाने में कांग्रेस अध्यक्ष की पहल की सराहना करती है।
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CWC और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस देश के संविधान और स्वतंत्रता आंदोलन के आदर्शों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। इसी के अनुरूप भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ‘जय भीम जय संविधान’ अभियान शुरू करेगी। इस अभियान की शुरुआत 27 दिसंबर को बेलगावी में एक रैली से होगी। इसका समापन 26 जनवरी, 2025 को – संविधान के लागू होने और गणतंत्र की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ पर – महू में एक रैली से होगा। इस एक महीने के दौरान हर राज्य, जिले और ब्लॉक में भी रैलियां आयोजित की जाएगी और मार्च निकाले जाएंगे।
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महात्मा की विरासत के साथ-साथ संविधान को संरक्षित और प्रमोट करने की आवश्यकता को देखते हुए, यह आंदोलन 26 जनवरी, 2025 से आगे भी बढ़ेगा। इस साल भर चलने वाले अभियान के संबंध में अधिक जानकारी जल्द ही दी जाएगी। महात्मा गांधी की विरासत के साथ संविधान की विरासत को संरक्षित, सुरक्षित और बढ़ावा देने की आवश्यकता को देखते हुए, यह आंदोलन 26 जनवरी, 2025 से आगे भी जारी रहेगा। 26 जनवरी, 2025 और 26 जनवरी, 2026 के बीच, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस संविधान बचाओ राष्ट्रीय पदयात्रा नामक एक विशाल, राष्ट्रव्यापी जनसंपर्क अभियान शुरू करेगी, जिसमें सभी नेता भाग लेंगे। यह पदयात्रा रिले के रूप में गाँव-गाँव, कस्बे-कस्बे तक जाएगी। विवरण जल्द ही घोषित किए जाएँगे। अप्रैल 2025 के पहले या दूसरे हफ़्ते में गुजरात में AICC का सत्र आयोजित किया जाएगा।
