निजीकरण की ओर दिल्ली जल बोर्ड, निजी कंपनियों को पेयजल और सीवरेज की जिम्मेदारी

दिल्ली। (रिपोर्ट- विश्वजीत झा) दिल्ली में पेयजल की आपूर्ति और सीवरेज का रखरखाव और प्रबंधन अब निजी ऑपरेटर संभालेंगे। गुरुवार को दिल्ली जल बोर्ड की बैठक में वन जोन, वन ऑपरेटर स्कीम के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। अभी दिल्ली जल बोर्ड ही तीनों एमसीडी, एनडीएमसी और दिल्ली कैंट बोर्ड में पानी सप्लाई करता है।

आपको बता दें, दिल्ली में पानी और सीवरेज की समस्या को सुलझाने में नाकाम जल बोर्ड अब निजी कंपनियों के सहारे इसे दुरुस्त करेगी। दिल्ली जल बोर्ड की 153 वीं बैठक में वन जोन वन ऑपरेटर स्कीम को मंजूरी दी गई है। इसके तहत दिल्ली को 7 से 8 जोनों में बांटा जाएगा। हर जोन की जिम्मेदारी अलग-अलग प्राइवेट कंपनी को दी जाएगी। जिसके बाद प्राइवेट कंपनी ही इलाके में पेयजल कि आपूर्ति, सीवरेज नेटवर्क के रख रखाव और प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालेंगी। एक कंपनी से 10 साल का करार होगा। मौजूदा समय मे दिल्ली जल बोर्ड करीब 14500 किलोमीटर पानी की पाइप लाइन के जरिए घरों में पेयजल आपूर्ति कर रहा है। इसके अलावा करीब 9000 किलोमीटर लंबी सीवरेज की लाइन भी जल बोर्ड के अधीन ही है।

जल बोर्ड का मानना है, कि इससे पेयजल आपूर्ति और सीवरेज के प्रबंधन में बेहतरी आएगी और दिल्ली वालों को साफ पानी मिल पाएगा। मगर कमर्चारियों को अब निजीकरण का डर सताने लगा है। कर्मचारियों ने विरोध में आवाज बुलंद करनी भी शुरू कर दी है।

कर्मचारियों का ये विरोध दिल्ली जल बोर्ड की बैठक में लिए गए फैसले के खिलाफ है। कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि बोर्ड की बैठक में करीब 810 पोस्ट को ही खत्म कर दिया गया जबकि अभी सिर्फ निजीकरण का फैसला हुआ है। यानी कर्मचारियों को अभी से अपने हित की चिंता सताने लगी है। हालांकि एक सच्चाई यह भी है कि दिल्ली में निजीकरण से पहले बिजली की हालत भी खराब थी और निजीकरण के बाद हालत में सुधार रहा तो क्या जल बोर्ड के लिए भी निजीकरण ही आखिरी रास्ता था।

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