वार्ड समिति के चुनाव से पहले दिल्ली सिविक सेंटर में कड़ी सुरक्षा

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Delhi News: दिल्ली में वार्ड समिति चुनाव के लिए बुधवार 4 सितंबर को एमसीडी दफ्तर के बाहर भारी सुरक्षा तैनात की गई है। दिल्ली के उप-राज्यपाल वी. के. सक्सेना ने मंगलवार देर रात नगर निगम कमिश्नर को एमसीडी वार्ड समिति चुनावों के लिए पीठासीन अधिकारियों के रूप में डिप्टी कमिश्नरों की नियुक्ति का आदेश दिया।

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इस बीच, बीजेपी सांसद योगेंद्र चंदोलिया ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा, शैली ओबेरॉय ने अपने पद का दुरुपयोग किया और चुनाव रोकने की कोशिश की। शैली ओबेरॉय को अपने पद का दुरुपयोग करने के लिए याद किया जाएगा। केंद्रीय गजट अधिसूचना सार्वजनिक होने के तुरंत बाद एलजी ने ये आदेश पारित किया, जिसमें दिल्ली के उप-राज्यपाल को दिल्ली महिला आयोग और दिल्ली विद्युत नियामक आयोग जैसे किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड और आयोग का गठन करने की पूरी शक्तियां दी की गईं।

एलजी के निर्देशों के बाद, एमसीडी आयुक्त ने आदेश पारित कर डिप्टी कमिश्नरों को चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी के रूप में नियुक्त किया है। उन्होंने नगर निगम सचिव को पहले से तय समय के मुताबिक चुनाव कराने के लिए जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया। इसमें कहा गया है कि संबंधित डिप्टी कमिश्नर पीठासीन अधिकारी के कर्तव्यों का पालन करेंगे। सुचारू, निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया करने के लिए चुनाव की पूरी प्रक्रिया को रिकॉर्ड किया जाएगा।

इससे पहले शाम को एमसीडी की मेयर शैली ओबेरॉय ने ये कहते हुए पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति से इनकार कर दिया था कि उनकी अंतरात्मा उन्हें अलोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लेने की इजाजत नहीं देती है। उन्होंने एमसीडी कमिश्नर अश्विनी कुमार को चुनाव प्रक्रिया फिर से शुरू करने और नामांकन दाखिल करने के लिए कम से कम एक हफ्ते का समय देने का भी निर्देश दिया था। एमसीडी आयुक्त को लिखे पत्र में शैली ओबेरॉय ने कहा था कि उन्हें पार्षदों से कई आवेदन मिले हैं, जिन्होंने कहा है कि वे नामांकन दाखिल नहीं कर सकते क्योंकि उम्मीदवारों को केवल एक दिन का नोटिस दिया गया था।

उन्होंने कहा कि मेरे निर्देश के बाद नगर निगम सचिव को चुनाव की अधिसूचना देने में पांच दिन लग गए, तो नामांकन दाखिल करने के लिए सिर्फ एक दिन कैसे दिया जा सकता है? डीएमसी अधिनियम के मुताबिक, मेयर की तरफ से अधिकारियों के नाम वाली फाइल भेजने के बाद नगरपालिका सचिव उनकी नियुक्ति के बारे में बताता है। अधिनियम के मुताबिक, उस पद के लिए नियुक्तियां करने का अधिकार केवल मेयर के पास होता है। नियुक्ति को अधिसूचित करने के लिए फाइल को नगरपालिका सचिव को भेजा जाना जरूरी है।

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मंगलवार देर रात, केंद्र सरकार ने दिल्ली महिला आयोग और दिल्ली विद्युत नियामक आयोग जैसे किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड और आयोग का गठन करने के लिए दिल्ली के उप-राज्यपाल को पूरे अधिकार देने वाला आदेश सार्वजनिक किया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अधिसूचना में कहा, “दिल्ली के उप-राज्यपाल ऐसे प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या वैधानिक निकायों में सदस्यों की नियुक्ति भी कर सकते हैं।

अधिसूचना में कहा गया है, “राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली शासन अधिनियम, 1991 (1992 के 1) की धारा 45डी के साथ, संविधान के अनुच्छेद 239 के खंड एक के मुताबिक राष्ट्रपति निर्देश देती हैं कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के उप-राज्यपाल, राष्ट्रपति के कंट्रोल के अधीन रहते हुए और अगले आदेश तक उक्त अधिनियम की धारा 45डी के खंड (क) के अधीन राष्ट्रपति की शक्तियों का इस्तेमाल किसी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या किसी वैधानिक निकाय के गठन के लिए करेंगे। वार्ड समितियों और स्थायी समिति के लिए लंबे समय से चुनावों के न होने से निगम में कई नागरिक सेवाओं और वित्तीय मामलों पर असर डाला है।

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