पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल ने तिहाड़ का किया दौरा, कहा गांधी दर्शन और तिहाड़ जेल मिलकर….

Vijay Goyal: गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के उपाध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल ने आज तिहाड़ जेल का दौरा किया और महानिदेशक (कारागार) सतीश गोलचा से मुलाकात की। उन्होंने तिहाड़ प्रशासन के साथ मिलकर गांधी स्मृति में अनेक कार्यक्रम करने की इच्छा जताई। इस अवसर पर सतीश गोलछा ने विजय गोयल को तिहाड़ जेल के कैदियों द्वारा बनाया गया एक चरखा भेंट किया

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गोयल ने कहा कि गाँधी स्मृति तिहाड़ जेल के साथ एक मेमोरंडम ऑफ एग्रीमेंट (MOA) करना चाहती है जिसके तहत तिहाड़ जेल के कैदियों के लिए कई प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। गोयल ने  कहा कि समिति  कैदियों द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स की प्रदर्शनी गांधी दर्शन में लगाएगी और तिहाड़ जेल के कैदियों द्वारा बनाए गए हैंडीबैग्स, लकड़ी का सामान, बैग इत्यादि के लिए गांधी दर्शन में एक दुकान आवंटित करेगी, जहां इन  वस्तुओं की बिक्री होगी। गोयल ने बताया कि समिति तिहाड़ जेल के कैदियों द्वारा बनाए गए चरखे भी खरीदेगी।

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गोयल ने कहा कि तिहाड़ जेल में गांधी स्मृति द्वारा पेंटिंग कंपीटीशन, गांधी क्विज, गांधी के विचारों पर विचार गोष्ठी आदि जैसे विभिन्न कार्यक्रम भी चलाए जा सकते हैं। इसके अलावा कैदियों के लिए मनोचिकित्सक की व्यवस्था भी की जाएगी।गोयल ने कहा तिहाड़ में 13 व 7वीं बैरक देखने के बाद उनकी आपातकाल की यादें ताजा हो गई। उनहोना बताया कि आपातकाल के समय उनके पिताजी अम्बाला जेल में थे। किंतु वह स्वयं सत्याग्रह करके तिहाड़ जेल गए थे। आज तिहाड़ जेल में में जो उनकी दिनचर्या रहती थी उसकी उनको याद आ गई।गोयल ने कहा कि तब से अब तक तिहाड़ जेल में  काफी सुधार हुए हैं। अब कैदियों को प्रतिदिन फ़ोन करने की सुविधा है। हर हफ्ते दो बार उनके घर वाले उनसे मिलने आ सकते हैं। इसके अलावा कैदी जेल में चलने वाले विभिन्न कार्यक्रम जैसे बैग बनाना पेंटिंग, लकड़ी का फर्नीचर बनाना और अन्य रचनात्मक कामों में वे भाग ले सकते हैं।  कैदियों के लिए एफएम रेडियो भी आरंभ किया गया है।

तिहाड़ जेल में हो रहे सकारात्मक कार्यों की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए गोयल ने कहा कि, “यह देखना अत्यंत प्रेरणादायक है कि जेल अब केवल दंड का स्थान नहीं बल्कि सुधार और आत्मनिर्माण का केंद्र बन गया है। यहां कैदियों को रचनात्मक गतिविधियों में जोड़ने का जो प्रयास हो रहा है, वह गांधीजी के स्वावलंबन और श्रम की गरिमा के सिद्धांतों से मेल खाता है।गोयल ने कहा कि “यह देखकर बेहद प्रेरणा मिलती है कि कैसे ये व्यक्ति अपनी ऊर्जा को रचनात्मक दिशा में लगा रहे हैं, और भविष्य के लिए स्वयं को तैयार कर रहे हैं।” इस अवसर पर गोयल कैदियों के साथ प्रेरणादायक गीत भी गाए।

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