उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद अपने पीतल से जुड़े कारोबार के लिए जाना जाता है। पीढ़ियों से यहां के कारीगर पीतल का सामान बनाने का काम करते चले आ रहे हैं। शहर के पीतल कारोबार में बड़ी संख्या में कारीगर मुस्लिम समुदाय से जुड़े हैं। भगवान की पीतल की मूर्तियां हों, घंटी हो या फिर चिरागी, पूजा में इस्तेमाल होने वाली ऐसी अनगिनत चीजें मुस्लिम कारीगर ही तैयार करते हैं।
पतील का सामान बनाने वाले कारीगर रईस अहमद के कहना है कि इन चीजों को बनाते-बनाते हम बुड्ढे हो गए यानी कि जब से हमने होश संभाला, 40-50 साल से हम यही आइटम बनाया है। मुरादाबाद में बना पीतल का सामान पूरे देश और विदेश में बिकता है। ये यहां के कारीगरों और कारोबारियों के लिए गर्व की बात है।
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पीतल कारोबारी शावेज खान के कहा कि हम पूजा आर्टिकल्स की पूरी रेंज बेचते हैं। यहां सब मिल जाएंगे। घंटी, लोटे, दीपक, अगरदान, सब मिलेंगे। ये है घंटी, सब मिलेंगें, अगरदान मिल जाएंगे सब मेल के। ये दीपक हैं।”इन सामानों को बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि वे अपने काम को गंगा-जमुनी तहज़ीब के हिस्से के रूप में देखते हैं।
पीतल का सामान बनाने वाले कारीगर ने कहा कि उजैर शम्सी हम मुसलमान है और ये जो हमारे भाई हिंदू के काम में आता है, वो अपनी पूजा इस आइटम से करते हैं। इससे गंगा-जमुनी तहजीब बढ़ती है। हमारा उनके साथ उठना-बैठना हो जाताहै।’गंगा-जमुनी तहज़ीब’ या ‘गंगा-जमुनी संस्कृति’ हिंदू और मुस्लिम धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं के मेल-जोल और सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व का प्रतीक है।