India US relations- बाइडेन प्रशासन के सीनियर अधिकारियों ने सोमवार को भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने में अहम रोल निभाने के लिए भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू की तारीफ की। अधिकारियों का मानना है कि संधू ने दोनों देशों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने के लिए बढ़िया काम किया है।व्हाइट हाउस में नेशनल ड्रग कंट्रोल पॉलिसी के डायरेक्टर डॉक्टर राहुल गुप्ता ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध बेहतर बनाने के लिए भारतीय राजदूत संधू का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि उन्होंने अपने देश के लिए अच्छा काम किया है।
डॉ. राहुल गुप्ता तरनजीत सिंह संधू के सम्मान में हुए विदाई समारोह में ये बातें कहीं। तरनजीत तीन दशक लंबे शानदार करियर के बाद इस महीने के आखिर में विदेश सेवा से रिटायर हो रहे हैं।समारोह में बाइडेन प्रशासन के अधिकारियों और थिंक-टैंक कम्युनिटी ने हिस्सा लिया।अमेरिकी विदेश मंत्रालय में राजनैतिक मामलों की अवर सचिव विक्टोरिया न्यूलैंड ने तारीफ करते हुए कहा कि वाशिंगटन में कोई दूसरा ऐसा राजदूत नहीं है जो तरनजीत संधू की तरह एक्टिव रहता हो और क्रिएटिव हो। उन्होंने कहा कि संधू के पास दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत करने के लिए हमेशा नए आइडिया रहते हैं।उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के रिश्तों को बेहतरी की ओर ले जाने में संधू का अहम रोल रहा है।
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अमेरिकी एयरफोर्स स्पीकर के सचिव फ्रैंक केंडल ने कहा कि संधू ने कहा कि भारत और अमेरिका के रिश्तों में संधू का रोल अहम है।इस मौके पर तरनजीत संधू ने कहा कि भारत-अमेरिका संबंध अब पहले से ज्यादा मजबूत हो गए हैं। उन्होंने कहा कि सबसे संतोषजनक बात यही है।उन्होंने कहा कि ये रिश्ता काफी लोगों की कोशिशों के बाद ही बेहतर बन पाया।नेशनल ड्रग कंट्रोल पॉलिसी व्हाइट हाउस डायरेक्टर डॉ. राहुल गुप्ता ने कहा कि राजदूत, आपने भारत की अच्छी तरह से सेवा की है और रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए जमीन तैयार की है। भारत और अमेरिका के बीच ये कामयाबी लंबे समय तक जारी रहेगी। आपकी लीडरशिप, आपकी कामयाबी और बेहतर संबंधों के लिए जमीन तैयार करने के लिए आपका शुक्रिया।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय विक्टोरिया न्यूलैंड ने कहा किमुझे नहीं लगता कि इस शहर में कोई दूसरा राजदूत है जो हमारे व्हाट्सएप, सिग्नल और हमारे डीएम में इस रिश्ते को मजबूत करने के लिए नए आइडिया के साथ इतना एक्टिव रहा हो।अगर आप देखें तो पाएंगे कि जब आपने शुरूआत की थी तब कहां थे और अब कहां हैं। मुझे लगता है कि इसका बहुत बड़ा श्रेय राजदूत को जाता है। मुझे लगता है कि यहां मौजूद हर कोई इससे सहमत होगा।