दिल्ली से मेरठ जाने वाली भारत की पहली रीजनल रैपिड रेल का काम तेजी के साथ चल रहा है, मेक इन इंडिया पर आधारित इस रेल के निर्माण कार्य में 14 हजार से अधिक कर्मचारी और 1100 से अधिक इंजीनियर दिन रात लगे हुए हैं, एनसीआरटीसी के अनुसार इसके पहले कॉरिडोर यानी साहिबाबाद से दुहाई तक का कार्य मार्च 2023 तक पूरा हो जाएगा, वही दिल्ली से गाजियाबाद होते हुए मेरठ तक का कार्य 2025 तक पूरा होने का लक्ष्य रखा गया है, दिल्ली से मेरठ तक ये लगभग 82 किलोमीटर तक सफर होगा, जिसमे लगभग महज 1 घँटे का समय इस ट्रेन में यात्रियों को लगेगा।
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82 किलोमीटर के दिल्ली से मेरठ आरटीएस कॉरिडोर में 25 स्टेशन होंगे जिसमें दुहाई और मोदीपुरम में दो डिपो और जंगपुरा में एक स्टेबलिंग यार्ड शामिल है, एनसीआरटीसी का अनुमान है दिल्ली से मेरठ तक के आरआरटीएस कॉरिडोर से प्रतिदिन लगभग ढाई लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी, इस रेल की खूबियों की अगर बात की जाए तो उसका विशेष ध्यान इस रेल में रखा गया है, ये रेल वाईफाई से लैस होगी वही सीसीटीवी कैमरे, हर सीट पर मोबाइल चार्जर, यूएसबी बोर्ड, दिव्यांगों के लिए व्यिल चेयर,सेफ्टी के लिए फायर अलार्म, इनडोर और आउटडोर सर्विलेंस सिस्टम,बाहर का दृश्य देखने के लिए बड़ी खिड़की के शीशे, महिलाओं के लिए आरक्षित कोच, कोट हैंगर ,चौड़ी सीटो की सुविधा जैसी तमाम व्यवस्था इस रेल में दी गई है, वहीं अगर समय की बात की जाए तो ये रेल रात में महज लगभग 5 घंटे ब्रेक लेगी और पूरे दिन सेवा में रहेगी और किराया भी लोगों की जेब के अनुसार ही रहने वाला है।
दिल्ली से मेरठ सफर करने वालों को हालांकि अभी 2025 तक इंतजार करना होगा क्योंकि इसमें अभी कार्य पूरा होने में समय लगेगा,एनसीआरटीसी के अनुसार मेक इन इंडिया दिशा निर्देशों के तहत आरआरटीएस के लिए 100% ट्रेन सेट भारत में निर्मित किए जा रहे हैं यानी की ये ट्रेन पूरी तरीके से स्वदेशी है, इन विश्व स्तरीय ट्रेनों का निर्माण गुजरात के सावली में स्थित एक एल्सटॉम कारखाने में किया जा रहा है, वही शुरुआत में इस ट्रेन में है 6 कोच रखे जाएंगे,जबकि दावा किया जा रहा है की अगर सवारियों की संख्या बढ़ती है तो जरूरत के हिसाब से इसकी कोचों की संख्या को भी 9 तक किया जाएगा।