प्रदीप कुमार की रिपोर्ट – केंद्र सरकार ने आज लोकसभा में आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022 पेश किया। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी ने सदन में इस बिल को जैसे ही पेश करने के लिए सदन पटल पर रखा जबरदस्त हंगामा हुआ। विपक्ष के नेताओं ने इस बिल पर कड़ी आपत्ति जताई। लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी समेत विपक्षी पार्टी के अन्य नेताओं ने भी विरोध जताया। इस दौरान देर तक हंगामा हुआ।
विपक्ष के विरोध और हंगामे के बाद सदन में बिल पेश करने को लेकर वोटिंग हुई इसके बाद बिल को सदन में पेश करने की अनुमति मिल गयी। पुलिस और क्राइम से जुड़े इस कानून को बेहद अहम माना जा रहा है। इसमें किसी अपराध के मामले में गिरफ्तार और दोषसिद्ध अपराधियों का रिकॉर्ड रखने के लिये अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी के उपयोग की अनुमति देने का प्रस्ताव किया गया है।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी इसे पेश करते हुए लोकसभा में कहा कि मौजूदा बन्दी शिनाख्त अधिनियम साल 1920 में बना था और उसमें केवल फिंगर और फुट प्रिंट लिया जाता था। दुनिया में बहुत से चीज़ें बदली हैं,आपराधियों को और अपराध करने का जो ट्रेंड बढ़ा है इसलिए हम दण्ड प्रक्रिया शिनाख्त अधिनियम 2022 लेकर आए हैं। इससे हमारे जांच एजेंसियों को फायदा होगा और प्रॉसिक्यूशन बढ़ेगा। प्रॉसिक्यूशन के साथ-साथ कोर्ट में दोषसिद्धि की प्रतिशत भी बढ़ने की पूरी संभावनाएं हैं।
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विधेयक पेश करते हुए गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने कहा कि मौजूदा अधिनियम को बने 102 साल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि उसमें सिर्फ फिंगर प्रिंट और फुटप्रिंट लेने की अनुमति दी गई, जबकि अब नयी प्रौद्योगिकी आई है और इस संशोधन की जरूरत पड़ी है। इस दौरान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री टेनी ने लोकसभा में कहा कि मैं अधीर रंजन चौधरी को बताना चाहता हूं कि मैंने 2019 में लोकसभा का पर्चा भरा है,अगर मेरे विरुद्ध एक भी केस हो और एक मिनट के लिए भी मैं थाने और जेल में गया हूं तो मैं अभी राजनीति से सन्यास ले लूंगा।
लोकसभा में पेश इस विधेयक के माध्यम से वर्ष 1920 के कैदियों की पहचान संबंधी कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। औपनिवेशिक ब्रिटिश काल के वर्तमान कानून में उन दोष सिद्ध अपराधियों और अपराध के मामले में गिरफ्तार लोगों के शरीर के सीमित स्तर पर माप की अनुमति दी गई है जिसमें एक वर्ष या उससे अधिक सश्रम कारावास का प्रावधान होता है। इस विधेयक में दोषियों और अपराध के मामले में गिरफ्तार लोगों का विभिन्न प्रकार का ब्यौरा एकत्र करने की अनुमति देने की बात कही गई है जिसमें अंगुली एवं हथेली की छाप या प्रिंट, पैरों की छाप, फोटो, आंखों की पुतली, रेटिना और लिखावट के नमूने आदि शामिल हैं। सरकार का मानना है कि अधिक से अधिक ब्यौरा मिलने से दोष सिद्धि दर में वृद्धि होगी और जांचकर्ताओं को अपराधियों को पकड़ने में सुविधा होगी।