प्रदीप कुमार – लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज अपने गांधीनगर दौरे पर गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के छात्रों को सम्बोधित किया। इस अवसर पर ओम बिरला ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि गुजरात में देश की सांस्कृतिक – ऐतिहासिक – राजनीतिक धरोहर समाहित है। संविधान और विधि का उल्लेख करते हुए ओम बिरला ने कहा कि संविधान देश में सामाजिक आर्थिक परिवर्तन का सूत्रधार और मार्गदर्शक है। उन्होंने आगे कहा कि आजादी के 75 वर्षों की यात्रा में संविधान ने लोकतंत्र को सशक्त किया है और देश में व्यापक सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन किया है।
शासन के तीनों अंगों के सन्दर्भ में ओम बिरला ने कहा कि देश का समग्र विकास तभी संभव है जब शासन के तीनों स्तम्भ एक दूसरे के प्रति सम्मान रखते हुए निष्ठापूर्वक अपनी भूमिका निभाएं। विधि निर्माण की प्रक्रिया का उल्लेख करते हुए ओम बिरला ने कहा कि संसद में सार्थक डिबेट्स होनी चाहिए ताकि विधेयक के सभी प्रावधानों पर विचार सामने आ सकें। ओम बिरला ने छात्रों को सुझाव दिया कि वे अपने स्तर पर कानूनों का अध्ययन करें और अपने सुझाव दें।
उन्होंने आगे कहा कि विधि छात्र सरल भाषा में आम लोगों को कानूनों के प्रभावों के विषय में समझायें। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार के दूरदर्शी निर्णयों के सन्दर्भ में ओम बिरला ने बताया कि अंग्रेजों द्वारा निर्मित कानूनों की उपयोगिता और प्रासंगिकता की समीक्षा कर आवश्यकता अनुसार उन्हें रद्द किये जाने पर विचार हो रहा है। उन्होंने आगे कहा कि इस दिशा में वर्तमान सरकार ने कई पुराने ब्रिटिश काल के कानूनों को रिपील किया है।
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ओम बिरला ने लॉ स्टूडेंट्स को कानून के सजग प्रहरी बताते हुए कहा कि उनका दायित्व है कि लोकतंत्र में उनकी सक्रिय भागीदारी हो। उन्होंने आगे कहा कि कानूनों के नियोजित दुरुपयोग को किस तरह रोका जाये, इसपर पर विचार आवश्यक है। ओम बिरला ने कहा कि भारत को दुनिया में अपनी सशक्त संवैधानिक परंपरा, समृद्ध लोकतान्त्रिक रीति और विधिसम्मत शासन लिए जाना जाता है और यही हमारी ताकत है। उन्होंने युवाओं को इस परम्परा को अधिक समृद्ध बनाने के लिए कार्य करने लिए अपील की।