लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 84वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (एआईपीओसी) का किया उद्घाटन

( प्रदीप कुमार), महाराष्ट्र- लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शनिवार को महाराष्ट्र विधानमंडल परिसर, मुंबई में 84वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (एआईपीओसी) का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, एकनाथ शिंदे; राज्य सभा के उपसभापति, हरिवंश; महाराष्ट्र विधान सभा के अध्यक्ष, राहुल नार्वेकर, महाराष्ट्र विधान परिषद की उप सभापति, डॉ. नीलम गोरहे और महाराष्ट्र विधान सभा के उपाध्यक्ष, नरहरि सीताराम झिरवाल उद्घाटन सत्र में उपस्थित रहे और विशिष्ट सभा को संबोधित किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वीडियो संदेश के माध्यम से सम्मेलन में शामिल हुए। उद्घाटन सत्र में 26 पीठासीन अधिकारियों ने भाग लिया।

सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विधानमंडलों में अनुशासनहीनता, कार्यवाही में व्यवधान और असंसदीय आचरण की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे विधानमंडलों की विश्वसनीयता प्रभावित हो रही है। ओम बिरला ने यह भी कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में असहमति व्यक्त करने के लिए गुंजाइश है, इसलिए व्यवधान के माध्यम से विरोध और असहमति नहीं जताई जानी चाहिए। बिरला ने कहा कि विधानमंडलों की प्रतिष्ठा और गरिमा को बनाए रखना और विधानमंडलों में मर्यादापूर्ण आचरण को बनाए रखना सर्वोपरि है, लेकिन यह चिंता का विषय है कि इन मुद्दों पर आम सहमति होने के बावजूद, हम अभी तक सदन के सुचारू कामकाज के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को लागू नहीं कर पाए हैं । इस बात पर जोर देते हुए कि जन प्रतिनिधियों का आचरण संसदीय मर्यादाओं के अनुरूप होना चाहिए, श्री बिरला ने सदस्यों से सदन में अपना समय रचनात्मक कार्यों में लगाने का आग्रह किया।ओम बिरला ने सुझाव दिया कि यदि आवश्यक हो तो नियमों में बदलाव करते हुए ठोस और निश्चित कार्य योजना तैयार की जानी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विधानमंडल बिना किसी व्यवधान के कार्य करें।

ओम बिरला ने नवाचार पर जोर देते हुए सुझाव दिया कि विधानमंडलों में काम करने के नए तौर-तरीकों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि लोकतांत्रिक संस्थाएं कार्यपालिका की निगरानी की अपनी जिम्मेदारी को बेहतर ढंग से निभा सकें और लोगों का इन संस्थाओं में विश्वास बढ़े l सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों में राज्य विधानमंडलों द्वारा किए जा रहे अच्छे कार्यों पर सदन में चर्चा की जानी चाहिए, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा किया जाना चाहिए क्योंकि ऐसे उपायों से जनता के बीच विधानमंडलों और जन प्रतिनिधियों दोनों की विश्वसनीयता बढ़ेगी। विधायी कार्यों में प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर देते हुए श्री बिरला ने सुझाव दिया कि जन प्रतिनिधियों को प्रौद्योगिकी में दक्ष होना चाहिए और जनता से जुड़ने के लिए इसका उपयोग करना चाहिए। श्री बिरला ने कहा कि प्रौद्योगिकी के अधिक से अधिक उपयोग से सदस्यों की दक्षता में वृद्धि होगी।ओम बिरला ने यह भी कहा कि विधानमंडल में सदस्यों की क्षमता निर्माण को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और सदस्यों के लिए विधानमंडल के नियमों, विधायी साधनों और प्रौद्योगिकी के उपयोग के बारे नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए। श्री बिरला ने राज्य विधानमंडलों से समयबद्ध तरीके से वाद-विवाद के डिजिटलीकरण का आग्रह किया ताकि ‘एक राष्ट्र, एक विधायी मंच की संकल्पना को शीघ्र ही वास्तविक रूप दिया जा सके।’

लोकतंत्र में संसदीय समितियों की भूमिका का उल्लेख करते हुए बिरला ने कहा कि संसदीय समितियाँ वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कानूनों और नीतियों को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्होंने कहा, संसदीय समितियां वास्तव में ‘मिनी संसद’ हैं और वे संसद की ओर से इन कानूनों, नीतियों और कार्यक्रमों की समीक्षा करती हैं और उन्हें जनता के लिए अधिक उपयोगी बनाती हैं। बिरला ने सुझाव दिया कि संसदीय समितियाँ सहयोग और समावेशिता की भावना से काम करें, सभी पक्षों के सामूहिक ज्ञान का उपयोग करते हुए रचनात्मक चर्चा संवाद करें और परिणाममूलक बनें । बिरला ने इस बात का उल्लेख भी किया कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने वाली समितियों की रिपोर्टों को हाईलाइट किया जाना चाहिए।

Read Also: केजरीवाल सरकार गिराने की साजिश रचने के AAP के आरोपों पर सामने आई BJP की बड़ी प्रतिक्रिया

84वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का एजेंडा इस प्रकार है: (i) लोकतांत्रिक संस्थाओं में लोगों के विश्वास को मजबूत करने के लिए – संसद और राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के विधानमंडलों में अनुशासन और मर्यादा बनाए रखने की आवश्यकता; और (ii) समिति व्यवस्था को अधिक उद्देश्यपूर्ण एवं प्रभावी कैसे बनाया जाये।

84वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन से पहले, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मुंबई के महाराष्ट्र विधानमंडल परिसर में एआईपीओसी की स्थायी समिति की अध्यक्षता की। एआईपीओसी के भाग के रूप में, भारत के विधायी निकायों के सचिवों का 60वां सम्मेलन आज आयोजित किया गया जिसमें ‘विधानमंडल में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग’ विषय पर चर्चा की गई । लोक सभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह ने सत्र की अध्यक्षता की।

इस अवसर पर महासचिव सिंह ने भारतीय इतिहास में 2023 के महत्व के बारे में बात करते हुए भारत के नए संसद भवन के लोकार्पण और भारतीय संसद द्वारा जी20 देशों की संसदों के अध्यक्षों के शिखर सम्मेलन की मेजबानी के बारे में बताया , जिसका समापन सर्वसम्मति से घोषणा के साथ हुआ था । उन्होंने लोक सभा में कामकाज में हो रही नवीनतम प्रगति पर भी चर्चा की, जैसे भाषांतरण के लिए एआई का उपयोग और एआई पर आधारित लैंग्वेज लोकलाइज़ेशन परियोजना, जो वर्तमान में लोक सभा में कार्यान्वयन के उन्नत चरण में है। महासचिव सिंह ने सम्मेलन के आयोजन और पीठासीन अधिकारियों, सचिवों और अन्य विशिष्टजनों के आतिथ्य सत्कार के लिए महाराष्ट्र विधानमंडल को धन्यवाद दिया। इस अवसर पर राज्य सभा के महासचिव पी सी मोदी और महाराष्ट्र विधान सभा के सचिव ने भी बैठक को संबोधित किया।

Top Hindi NewsLatest News Updates, Delhi Updates,Haryana News, click on Delhi FacebookDelhi twitter and Also Haryana FacebookHaryana Twitter

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *