( अवैस उस्मानी ) Manipur Violence- मणिपुर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा की जांच के लिए SIT बनाने का संकेत दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम जांच के लिए एक विशेषज्ञ कमेटी बनाएंगे, जिसमें महिला जज के साथ साथ अलग अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा जय सिंह और अन्य वकीलों द्वारा सिविल सोसाइटी के लिए सुझाए गए नामों को नकार दिया। मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम अपनी तरफ से बैकग्राउंड चेक करेंगे, सरकार भी अपनी तरफ से नाम सुझा सकती है।
आपको बता दें, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से एफआईआर, जांच के लिए उठाए गए कदम, पुनर्वास के लिए पर उठाए गए कदम की जानकारी देने को कहा है। मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा यह कहना सही नहीं कि सिर्फ एक समुदाय के खिलाफ हिंसा हुई है। मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारा विचार यह है कि हम संवैधानिक प्रक्रिया में लोगों का विश्वास बहाल करें। यही वह संदेश है जिसे हमें वहां पर भेजने की जरूरत है। मणिपुर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट में कल सुनवाई कल भी जारी रहेगी।
मणिपुर हिंसा मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा पीड़ितों के बयान है कि उन्हें पुलिस ने भीड़ को सौपा।हमने निर्भया केस जैसा जघन्य केस देखा। पर ये केस अलग है। यहां सिस्टम पर खुद हिंसा में शामिल होने का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मणिपुर में महिलाओं के साथ जो हुआ वह सोचे समझे तरीके से हुआ है। मणिपुर में महिलाओं के साथ जो हुआ है वह पूरे व्यवस्था की गलती है। इंडियन पीनल कोड भी महिलाओं के साथ इस तरह के अत्याचार के लिए अलग से कानूनी प्रावधान है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा मीडिया में पीड़ितों के बयान हैं जो बताते हैं कि पुलिस ने इन महिलाओं को भीड़ को सौंप दिया। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि घटना वाले दिन से 18 मई तक 14 दिनों तक पुलिस क्या करती रही? 14 दिनों में सिर्फ जीरो एफआईआर दर्ज? नाम तक दर्ज नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि FIR दर्ज होने में 14 दिन और गिरफ्तारी में महीने भर से भी ज्यादा समय लगा। सरकार ने आगजनी, हत्या और महिलाओं के साथ अत्याचार जैसे मामलों की छंटनी क्यों नहीं किया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस बारे में इंस्ट्रक्शन नहीं है। वो लेकर बताएंगे। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा हमारे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है, हम कह रहे हैं कि आप मॉनिटरिंग कर सकते हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम कुछ भी नहीं छिपा रहे। वीडीओ वायरल होने के 24 घंटे के अंदर सात आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए। राज्य में 6 हज़ार से ज़्यादा FIR दर्ज की गई हैं।
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पीड़ित महिलाओं की तरफ से कपिल सिब्बल ने कहा कि हम सीबीआई जांच नहीं चाहते है, हम मणिपुर पुलिस की भी जांच नहीं चाहते,हम कोर्ट की निगरानी वाली SIT जांच की मांग कर रहे हैं। पीड़ित महिलाओं की तरफ से वकील कपिल सिब्बल ने आसाम मे मामले का ट्रायल ट्रांसफर का विरोध किया। केंद्र सरकार की तरफ से सालिसिटर जनरल ने कहा कि हमने आसाम में ट्रायल ट्रा़सफर की बात नहीं कही है अदालत मणिपुर के बाहर कही भी ट्रांसफर करे। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर जांच को कोर्ट मॉनिटर करे तो हमे कोई परेशानी नहीं। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान पीड़ितों के वकील ने कहा केन्द्र सरकार का हलफनामा कहता कि बहुत सी महिलाएं बदसलूकी की शिकार हुई है। ऐसे मे सरकार को एक मैकेनिज्म बनाने की जरूरत है जो तमाम महिलाओं को जो यौन हिंसा की शिकार हुई है उन्हे न्याय मिल सके। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि 3 मई के बाद कितनी एफआईआर दर्ज हुई है।
मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा हमारे हस्तक्षेप की सीमा इस पर भी निर्भर करेगी कि सरकार ने अब तक क्या किया है। यदि सरकार ने जो किया है उससे हम संतुष्ट हैं, तो हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते। वकील बांसुरी स्वराज ने कहा मणिपुर के केस की तरह पश्चिम बंगाल में भी हुआ, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। वकील बांसुरी स्वराज पूरे देश की महिलाओं की सुरक्षा का मामला है, वकील बांसुरी स्वराज ने कहा, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और केरल मे भी महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा हुई है, किसी ने नहीं उठाया, वकील बांसुरी स्वराज ने कहा बंगाल मे पंचायत चुनाव के दौरान एक महिला को निर्वस्त्र कर घुमाया गया, मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि निस्संदेह देश भर में महिलाओं के खिलाफ अपराध हो रहे हैं, यही हमारी सामाजिक वास्तविकता है, वकील बांसुरी स्वराज ने दलील दी कि पूरे भारत में बेटियों की रक्षा करनी है। पश्चिम बंगाल में, बीकानेर में भी ऐसे उदाहरण हैं, यह सिर्फ मणिपुर नहीं है।मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि क्या आप कहना चाहती है कि या तो सभी महिलाओं की रक्षा करें या किसी की भी रक्षा न करें?
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