पृथ्वी पर कही पर भी चलें जाए तो ऊपर फैले अनंत आसमान को जब हम देखते हैं तो वह हमें नीला दिखाई देता है। वायुयान भी जब अमूमन हमें 35000 फीट की ऊंचाई तक ले जाकर उड़ान भरता है तो आकाश नीला और गहरा नीला नजर आता है, कहीं – कहीं लालिमायुक्त भी.लेकिन क्या आपको बता हैं कि अंतरिक्ष यात्रियों को आसमान नीला नही बल्कि काला दिखाई देता हैं.आखिर इसका क्या कारण है किहमें आसमान नीला और अंतरिक्ष यात्रियों को आसमान काला दिखाई देता है। आइए जानते हैं इस आर्टिकल में क्या है कारण-
आपको बता दे कि असल में आसमान का रंग हमें ब्लू इसलिए दिखाई देता है क्योकि हमें नीला प्रकाश के प्रकीर्णन की वजह से दिखाई देता है.जब प्रकाश की किरणें वातावरण में प्रवेश करती हैं तो वायुमंडल में मौजूद धूल के कण की वजह से ये चारों ओर बिखर जाती है.जो प्रकाश जो प्रकाश बिखरा है वो नीला होता है जिसका प्रकीर्णन अधिक होता है। यही कारण है कि आसमान हमें नीला दिखाई देता है।
वैसे हमारा आसमान भी ज्यादा ऊंचाई पर नीला नहीं रह जाता
आपको बता दे कि आसमान ज्यादा ऊंचाई पर नीला नही रह जाता.समुद्र तल से लगभग 12 मील ऊपर आसमान काला होना शुरू हो जाता है.लेकिन यह स्थान और स्थितियों के आधार पर बदल भी सकता हैं. अधिक ऊंचाई पर आकाश बहुत गहरा नीला या नीला -बैगनी भी दिखाई दे सकता है.ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिक ऊंचाई पर प्रकाश बिखेरने के लिए कम अणु होते हैं.
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अगर हम कोई गीला कपड़ा चांद पर लेकर जाएं
आगर हम कोई गीला कपड़ा चंद्रमा पर लेकर जाएं तो गीला कपड़ा तुरंत सूख भी सकता हैं या बर्फ की तरह जम भी सकता हैं क्योकि चंद्रमा पर कही -कहीं पर ज्यादा तापमान होता हैं तो कहीं- कही पर बहुत ठंड होती है.ये इस पर निर्भर करता है कि सूर्य कहां पर चमक रहा हैं यदि हम चंद्रमा पर पानी लेकर जाएंगे तो शायद वहां पी नहीं पाएंगे, क्योंकि पानी जैसे ही बाहर निकालेंगे या वाष्पित हो जाएगा।
चंद्रमा पर उबलने लगेगा पानी
चांद के अलग अलग तापमान के कारण कहीं ये तुरंत उबलना शुरू कर देगा तो कहीं बिल्कुल बर्फ की तरह जम जाएगा। अगर चांद पर पानी डाल दें तो ये तुरंत वाष्पित हो जाएगा। वाष्पीकृत जल वाष्प सूर्य की ऊर्जा और सूर्य के प्रकाश के कारण तुरंत विघटित हो जाएगा। हाइड्रोजन तुरंत अंतरिक्ष में खो जाएगा।
कितने समय तक जिंदा रह सकता है इंसान
साइंस फोकस की मानें तो आप 15 सेकंड के भीतर बेहोश हो जाएंगे, क्योंकि वहां ऑक्सीजन नहीं है। आपके मस्तिष्क के रक्त में करीब 15 सेकेंड की गतिविधि के लिए ही पर्याप्त ऑक्सीजन होती है। उसके बाद आप अचेत हो जायेंगे। तीन मिनट के भीतर मस्तिष्क की पूरी तरह से मृत्यु हो जाएगी।