NASA: अभी तक विश्व के 5 देश (अमेरिका, रूस, चीन, भारत और जापान) ने सफलतापूर्वक चांद पर अपना झंडा फहराया है। खोज की बात करें तो एल्युमीनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम और टाइटेनियम के संकेतों की खोज की गई है। इसके अलावा मैंगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन की उपस्थिति का भी पता चला है। लेकिन अब चीन का प्रयास चांद के उस स्थान पर जाना है, जहां पर खजाना छुपा हुआ है। वो कैसे आइए जानते हैं।
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दुनिया भर में कई जगहों पर संघर्ष चल रहा है। इस बीच, चीन ने स्पेस में एक ऐसी लड़ाई शुरू करने की तैयारी की है, जिसका असर दुनिया के सभी बड़े देशों पर होगा। इसके लिए ड्रैगन ने एक खतरनाक योजना बनाई है। चांद को युद्धक्षेत्र बनाने के लिए वह प्रयास कर रहा है।अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के प्रमुख ने खुद यह दावा किया है।
दरअसल, चीन चांद के उस हिस्से में जाना चाहता है जहां अब तक कोई नहीं पहुंचा है। नासा प्रमुख का कहना है कि यह चंद्रमा की जगह है जहां हर वक्त अंधेरा है। नासा के वैज्ञानिकों का मानना है कि चांद का खजाना यहीं है। चीन का लक्ष्य सिर्फ खजाना हासिल करना ही नहीं है; इससे भी अधिक कुछ है। नासा प्रमुख ने भी इस पर खुलकर अपनी राय दी है।
चीन की योजना से खुद अमेरिका डर गया है। नासा प्रमुख बिल नेल्सन का बयान, जिसमें उन्होंने कहा कि चीन चांद पर सैन्य बेस बनाना चाहता है। नेल्सन का कहना है कि चीन नागरिक आंदोलन की आड़ में अपने सैन्य कार्यक्रम को अंतरिक्ष में छिपाने की कोशिश कर रहा है। उनका दावा है कि अगर चीन ने चांद पर पहले बेस बनाया तो वह चीन के कुछ हिस्सों पर दावा कर सकता है। नेल्सन ने यह भी कहा कि चीन चांद पर काम करना चाहता है, लेकिन यह सिर्फ स्पेस अभियान नहीं है।
चीन भी अपने अंतरिक्ष अभियानों को मजबूत बना रहा है, लेकिन अमेरिका स्पेस में सबसे आगे है। ऐसे में, अमेरिकी स्पेस एजेंसी (NASA) के प्रमुख का यह दावा बहुत आश्चर्यजनक है। नेल्सन ने कहा कि वे चांद के पिछले भाग में अपने चांद लैंडर को उतारेंगे। साथ ही, नासा प्रमुख ने कहा कि अमेरिका को इस क्षेत्र में भाग लेने का कोई विचार नहीं है।
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अब तक चांद के उत्तरी ध्रुव पर बहुत सारे अध्ययन किए गए हैं, लेकिन चांद का असली खजाना दक्षिणी ध्रुव पर माना जाता है। नासा प्रमुख ने कहा कि चीन इस खजाने पर ध्यान दे रहा है। दरअसल, माना जाता है कि दक्षिणी ध्रुव पर हीलियम का भंडार हो सकता है; यह न्यूक्लियर एनर्जी बनाने में उपयोगी हो सकता है और रेडियोएक्टिव नहीं होता, इसलिए वैस्ट मैटेरियल को कोई खतरा नहीं होता। चांद पर स्कैंडियम और यिट्रियम जैसे रेयर अर्थ मेटल्स भी हैं। भारत ने भी यहां पानी होने का पता लगाया है, जिसके बाद से कई देशों ने इसकी तलाश की है।
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