Organ Donation- जब किसी की मौत हो जाती हैं तो उसके अंग किसी और के लिए नई जिंदगी दे सकते हैं मौत के बाद अंग दान करना एक बडे तौर पर जीवन को आगे बढाने का एक उत्कृष्ट तरीका है। इस प्रक्रिया को ऑर्गन डोनेशन और ट्रांसप्लांटेशन कहा जाता है।लेकिन हर अंग दान करना का एक खास टाइम होता हैं जिसमें उसे दूसरें इंसान को ट्रांसप्लाट कर सकते हैं आपको बता दे कि ये समय अंग के प्रकार पर निर्भर करता हैं. आज हम इस आर्टिकल में जानेगें कि मौत के बाद कौन से अंग को कितने समय तक उपयोग में लाया जा सकता हैं.
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किस पार्ट को कितने समय तक ट्रांसप्लांट किया जा सकता है जानें
हृदय – मौत के बाद 4-6 घंटे के अंदर हृदय का ट्रांसप्लांट सबसे अच्छा होता है, क्योंकि इसके बाद हृदय के कोशिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है. और इसे विशेषतः अत्यंत गंभीर दिल की बीमारियों के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है।
हड्डियां – हड्डियों को विशेष तरीके से संरक्षित करके महीनों तक उपयोग में लाया जा सकता है, जिससे उन्हें ट्रांसप्लांट करने का अधिक समय मिलता है.
कॉर्निया – कॉर्निया को मौत के बाद 1 से 2 सप्ताह तक सुरक्षित रखा जा सकता है, जिससे दृष्टि संबंधी समस्याओं का उपचार संभव होता है.
हृदय वाल्व – हृदय वाल्व को विशेष रूप से संरक्षित कर मौत के बाद कई महीनों तक उपयोग में लाया जा सकता है, जिससे वे लंबे समय तक संचालन योग्य बने रहें.
पैंक्रियास – पैंक्रियास को मौत के बाद 12-24 घंटे के अंदर ट्रांसप्लांट किया जाना चाहिए
आंत – आँतों का ट्रांसप्लांट मौत के बाद 4-6 घंटे के भीतर करना आवश्यक होता है, जिससे उनके कार्यकलाप बने रहें.
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त्वचा – त्वचा को मौत के बाद 24 घंटे तक संरक्षित किया जा सकता है, जिससे जलने या अन्य चोटों के उपचार में मदद मिलती है.
फेफड़े- फेफड़ों को 4-6 घंटे के भीतर ट्रांसप्लांट करने की जरूरत होती है, जिससे उनका सही कामकाज सुनिश्चित हो सके.
यकृत –यकृत को मौत के बाद 8-12 घंटे के भीतर ट्रांसप्लांट करना संभव होता है, ताकि उसके कार्य को बनाए रखा जा सके.
गुर्दे – गुर्दों को 24-48 घंटे तक संरक्षित किया जा सकता है, जिससे उन्हें ट्रांसप्लांट करने की अधिक समय सीमा मिलती है.