(राहुल सहजवानी): केंद्र सरकार द्वारा घोषित नई शिक्षा नीति फिलहाल नन्हे-मुन्ने बच्चों के लिए परेशानी का सबब बनी है। इस नीति के तहत साढ़े 5 वर्ष के बच्चे को ही फर्स्ट क्लास में दाखिला मिल सकता है। जबकि भारी संख्या में ऐसे बच्चे हैं जो 1 अप्रैल की कट ऑफ डेट के मुताबिक साढ़े 5 वर्ष के नहीं हो रहे। ऐसे बच्चों को दोबारा से यूकेजी में ही रहना पड़ेगा। अभिभावकों का कहना है कि नीति में परिवर्तन किया जाए। हरियाणा के लाखों की संख्या में ऐसे बच्चे हैं जो 1 अप्रैल की काट आउट डेट के मुताबिक साढ़े 5 वर्ष के नहीं होते। हालांकि वह यूकेजी क्लियर कर चुके हैं उन्हें फर्स्ट क्लास में दाखिला मिलना चाहिए। नई शिक्षा नीति के तहत उन्हें 1 अप्रैल को अगर साढ़े पांच साल हो गए हैं तभी फर्स्ट क्लास में दाखिला मिल पाएगा, जबकि वह फर्स्ट क्लास में दाखिले के हकदार हैं, लेकिन साढ़े 5 वर्ष उनकी आयु नहीं हुई, कोई इससे एक महीना कम है, कोई 2 महीने, कोई 10 दिन कम है। जिसके चलते बच्चों एवं अभिभावकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
अभिभावकों का कहना है कि उनके बच्चे ने यूकेजी कर ली है। इसके लिए पूरा साल किताबों, वर्दी, फीस सहित अन्य खर्चे आए। दोबारा से वह इन सब खर्चों को वहन करेंगे, दूसरा बच्चे का समय बर्बाद होगा। इसलिए इस नीति में परिवर्तन होना चाहिए। वहीं जिला शिक्षा अधिकारी अधिकारी विनोद कुमार का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा घोषित नई शिक्षा नीति के तहत साढ़े 5 वर्ष के बच्चे को ही फर्स्ट क्लास में दाखिला दिए जाने का प्रावधान है, अभिभावकों की तरफ से शिकायतें आ रही हैं जिसके चलते मुख्यालय को मार्गदर्शन के लिए लिखा गया है, उम्मीद है इसका अगले कुछ दिनों में समाधान होगा।
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हरियाणा के काफी संख्या में ऐसे बच्चे हैं जो 1 अप्रैल को साढ़े पांच वर्ष पूरा नहीं करते, हालांकि उन्होंने यूकेजी पास कर ली है वह फर्स्ट क्लास में दाखिले के हकदार हैं, लेकिन नई शिक्षा नीति के तहत उन्हें दाखिला नहीं मिलेगा। अब अभिभावक इस में परिवर्तन व राहत की मांग कर रहे हैं। जिसको लेकर शिक्षा मंत्रालय जल्दी ही कोई दिशानिर्देश जारी करेगा तब तक अभिभावक चिंतित व परेशानी की हालत में है।