Parl Panel- एक संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) को दूसरे देशों में अपने जैसे संगठनों की चिकित्सा पद्धति यानी की इलाज के तौर-तरीकों का अध्ययन करना चाहिए।स्वास्थ्य विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने शुक्रवार को राज्यसभा में अपनी रिपोर्ट ‘भारत में चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता’ पेश की। इसमें उन्होंने बताया कि ये उपाय एनएमसी को दुनिया भर में अपनाए जाने वाले सबसे अच्छे तौर-तरीकों का अध्ययन करने और इसे सबसे अच्छी संस्थान बनाने में मदद कर सकता है।
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि दुनिया भर के देशों ने फ्लेक्सनर मॉडल को अपनाया है और जरूरत पड़ने पर इसमें उचित बदलाव किया है।अमेरिका, ब्रिटेन और चीन जैसे देशों में चिकित्सा शिक्षा के लिए कई शासकीय प्राधिकरणों की जांच पर, समिति ने पाया है कि एनएमसी चिकित्सा पद्धति में अंतरराष्ट्रीय पेशेवर मानकों को पूरा करता है।इस रिपोर्ट में पाया गया है कि वैश्विक स्तर पर कुछ देशों को छोड़कर, वर्तमान में या भविष्य के लिए डॉक्टरों की कमी सबके लिए परेशानी बन सकती है।
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रिपोर्ट में कहा गया, “विकसित देश विकासशील देशों के मेडिकल ग्रेजुएटों के लिए आकर्षक जगह के रूप में काम करके और अंतरराष्ट्रीय मेडिकल ग्रेजुएटों के लिए चिकित्सा अभ्यास की प्रक्रिया को आसान बनाकर इस कमी को पूरा करने में सक्षम हैं।
रेजिडेंट डॉक्टरों के राष्ट्रीय डेटाबेस के रखरखाव के संबंध में, समिति ने सिफारिश की कि एनएमसी को यूएसए के जीएमई ट्रैक की तरह ही रियल टाइम नेशनल डेटाबेस बनाना चाहिए।ये डेटाबेस नए संस्थानों में उनकी कमी को दूर करने के तौर पर काम आ सकता है।साथ ही रेजिडेंट डॉक्टरों के बीच अनुभव और जानकारी साझा करने के लिए एक मंच के रूप में भी काम कर सकता है।